फेसबुक पर राष्ट्रीय ध्वज पर बैठे कुत्ते की तस्वीर शेयर करने वाले व्यक्ति की ज़मानत खारिज

Update: 2025-09-11 04:48 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति की ज़मानत याचिका खारिज की, जिस पर अपने फेसबुक अकाउंट पर कुत्ते को बैठाकर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाली तस्वीर अपलोड करने और कथित तौर पर 'पाकिस्तान समर्थक' सामग्री पोस्ट करने का आरोप है।

जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि इस तरह के पोस्ट 'भड़काऊ', 'आपत्तिजनक' और 'सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने वाले' हैं। साथ ही राष्ट्रीय ध्वज को बदनाम करने वाले व्यक्ति 'किसी भी सहानुभूतिपूर्ण विचार के लिए उत्तरदायी नहीं हैं'।

संक्षेप में मामला

16 मई, 2025 को एक FIR दर्ज की गई। इसमें आरोप लगाया गया कि आरोपी (वासिक त्यागी) ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पाकिस्तान का महिमामंडन करने वाली और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाली कुछ सामग्री पोस्ट की।

FIR के अनुसार, आवेदक ने एक पोस्ट में "कामरान भट्टी, मुझे आप पर गर्व है। पाकिस्तान ज़िंदाबाद" लिखा और दूसरी पोस्ट में उसने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की एक मॉर्फ्ड तस्वीर अपलोड की, जिसमें उसे एक कुत्ते पर बैठा दिखाया गया।

FIR में आरोप लगाया गया कि इस पोस्ट से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची और समुदायों के बीच दुश्मनी और वैमनस्य की संभावनाएं पैदा हुईं।

जांच के दौरान, पुलिस ने त्यागी के मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड उनके फेसबुक अकाउंट से पोस्ट का पता लगाया। मेटा की साइबर रिपोर्ट ने भी पुष्टि की कि पोस्ट से जुड़े आईपी एड्रेस त्यागी के मोबाइल नंबरों पर इस्तेमाल किए गए।

इसके बाद आरोपी को 7 जून, 2025 को गिरफ्तार कर लिया गया। फोरेंसिक जांच के लिए उसका मोबाइल फ़ोन ज़ब्त कर लिया गया। स्वतंत्र गवाहों ने भी अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन करते हुए बयान दिए, जिसमें कहा गया कि आवेदक का कृत्य धार्मिक कलह भड़काने वाला था।

इन दलीलों की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय ध्वज की पवित्रता पर ज़ोर देते हुए हाईकोर्ट ने इस प्रकार कहा:

"भारतीय राष्ट्रीय ध्वज गौरव और देशभक्ति का प्रतीक है। यह भारत के लोगों की आशा और आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करता है... प्रत्येक भारतीय नागरिक को राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को जानबूझकर ज़मीन या फर्श से नहीं छूने देना चाहिए। इसका सम्मान किया जाना चाहिए। इस पर कोई भी टिप्पणी या अपमान कानूनन दंडनीय अपराध है।"

न्यायालय ने कहा कि आवेदक उपरोक्त पोस्ट पोस्ट/अपलोड करने के बारे में संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका।

इसके अलावा, सिंगल जज का मत था कि आवेदक की टिप्पणी, 'अब तो कुट्टी ब मोत रहे ह', भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हुए "गंभीर चिंता का विषय" है।

इसलिए रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए यह भी कहा जाता है कि आवेदक की इस देश यानी भारत के प्रति भावनाएं देशभक्तिपूर्ण नहीं हैं। इसमें आगे कहा गया कि प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि उसने जानबूझकर भारत की गरिमा को कम करने के लिए उक्त पोस्ट पोस्ट की थीं।

सिंगल जज ने कहा कि त्यागी के पोस्ट "राष्ट्र-विरोधी विचारधारा के महिमामंडन की ओर झुकाव दर्शाते हैं" और "सार्वजनिक शांति एवं व्यवस्था को भंग करने में सक्षम" हैं।

इस प्रकार, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि आरोपों की गंभीरता, अपराध की प्रकृति और सामाजिक सद्भाव पर इसके संभावित प्रभाव को देखते हुए आवेदक को ज़मानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं है।

तदनुसार, ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई।

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