'कोई भी सुरक्षित नहीं है जब तक कि हर व्यक्ति की सुरक्षा न हो': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से राज्य में वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में उठाए गए कदमों के बारे में पूछा

Update: 2021-05-08 11:05 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यूपी सरकार से कहा कि वह राज्य में COVID-19 वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताए ताकि 3-4 महीने के भीतर सभी को COVID-19 वैक्सीन दी जा सके।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की एक डिवीजन बेंच ने कहा,

"हमें यह याद रखना चाहिए कि COVID-19 वायरस के संदर्भ में जब तक कि प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा नहीं हो जाती, कोई भी सुरक्षित नहीं है।"

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह न्यायालय को इस बात से अवगत कराए कि वह किस तरह से इस उद्देश्य के लिए वैश्विक बाजार से वैक्सीन खरीदने की योजना बना रहा है।

आदेश में कहा गया,

"हम राज्य सरकार को वैक्सीन की तत्काल खरीद सुनिश्चित करने के तरीके और साधन खोजने का निर्देश देते हैं, ताकि उत्तर प्रदेश में सभी व्यक्ति 3-4 महीने के भीतर अपनी पूरी खुराक के साथ वैक्सीनेशन करवा सकें। साथ ही अगली तारीख पर हमें बताएं कि वह वैश्विक बाजार से कैसे वैक्सीन खरीद में तेजी लाने का प्रस्ताव दे रही है।

भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि वैक्सीन वैश्विक बाजार में उपलब्ध है और कोई भी इसे खरीद सकता है। सरकार ने पहले ही इसके लिए वैश्विक निविदा मंगाई है।

खंडपीठ ने कहा कि निविदा एक लंबी प्रक्रिया है।

कोर्ट ने कहा,

"अगर हम राज्य में बड़ी संख्या में वैक्सीनेश करने में देर करते हैं, तो हम वैक्सीनेशन के वास्तविक परिणाम को खो सकते हैं, क्योंकि वायरस ऐसे उत्परिवर्तन को प्राप्त कर सकता है, जो टीका को भी बेअसर कर सकता है। इसके अलावा, चूंकि बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं, इसलिए वैज्ञानिकों का विचार है कि तीसरी लहर भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार उन देशों में भारतीय राजनयिकों की मदद से वैक्सीन उत्पादकों के साथ सीधा संवाद करे। "

इसके अतिरिक्त, बेंच ने विकलांग व्यक्तियों के वैक्सीनेशन के संबंध में विशेष नीति जारी करने पर विचार किया।

अदालत ने आदेश दिया,

"सरकार को शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों का टीकाकरण करने के लिए विशिष्ट नीति के साथ आना चाहिए।"

बेंच ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा COVID-19 प्रकोप के दौरान फिजिकल रूप से अक्षम व्यक्तियों के संबंध में विकलांगता संबंधी विचारों के लिए जारी दिशा-निर्देशों का उल्लेख किया। यह बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा किए गए पूरे वैक्सीनेशन कार्यक्रम में आज तक यह नहीं बताया गया कि फिजिकल रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए वैक्सीनेशन के लिए क्या दिशानिर्देश है।

कोर्ट ने तदनुसार केंद्र और राज्य दोनों को फिजिकल रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम के लिए तैयार दिशानिर्देश को कोर्ट पेश करने के लिए कहा।

केस का शीर्षक: - संगरोध केंद्रों में पुन: अमानवीय स्थिति…

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