"वकील के रूप में खुद को पेश नहीं किया": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लॉ इंटर्न की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

Update: 2021-11-19 09:47 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक लॉ इंटर्न की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। उक्त इंटर्न एक सीनियर वकील के इंटर्न के तौर पर एक न्यायाधिकरण के सामने पेश हुआ था। इस पेशी के दौरान उसने एक मामले में स्थगन की मांग की थी, जिसके बाद उसे व्यक्तिगत रूप से धोखाधड़ी के अपराध के लिए आरोपित किया गया था।

न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता (लॉ-इंटर्न) ने एक ऐसे मामले में स्थगन की मांग करने का प्रयास किया, जहां एक पक्ष का प्रतिनिधित्व वकील द्वारा किया जा रहा था। उक्त वकील की ओर से कानून का छात्र इंटर्न कर रहा है।

प्रस्तुतियां

शुरुआत में इंटर्न के वकील ने प्रस्तुत किया कि वह एक कानून का छात्र है और एक वकील के साथ इंटर्न कर रहा है। यह वकील जिला न्यायालय, रायबरेली में प्रैक्टिस कर रहा है। इंटर्न ने जिज्ञासा के कारण और अपने प्रशिक्षण के एक भाग के रूप में याचिकाकर्ता की ओर से अदालत की कार्यवाही में भाग लिया था।

आगे यह प्रस्तुत किया गया कि पीठासीन अधिकारी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा पारित चार अक्टूबर, 2021 के आदेश में यह दर्ज किया गया कि पूछे जाने पर, याचिकाकर्ता ने पीठासीन अधिकारी को बताया कि वह एक कानून का छात्र है, न कि प्रैक्टिस करने वाला वकील।

कोर्ट का आदेश

इंटर्न के वकील की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां उसने पीठासीन अधिकारी द्वारा पारित चार अक्टूबर, 2021 के आदेश के अनुसार खुद को एक वकील के रूप में प्रतिरूपित किया हो। यह उल्लेख किया गया कि याचिकाकर्ता ट्रिब्यूनल में सिविल ड्रेस में बिना कोट के मौजूद था।

इसके अलावा, मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि सूचीबद्ध होने की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता अभय कुमार गुप्ता को एफआईआर के अनुसार गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419, 420, 171 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

हालांकि उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने प्रतिवादियों से यह भी कहा कि अगर वे चाहें तो चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करें।

केस का शीर्षक - अभय कुमार गुप्ता बनाम यूपी राज्य के माध्यम से गृह सचिव, लखनऊ और अन्य

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