इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रही महिला को जमानत दी, डॉक्टर का प्राइवेट पार्ट काटकर उसकी हत्या करने के जुर्म में हुई थी उम्रकैद
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह आजीवन कारावास की सजा काट रही एक महिला को जमानत दे दी। इस महिला को 2013 में एक डॉक्टर की हत्या कर उसका प्राइवेट पार्ट काटकर और बाद में उसे अन्यत्र भेजने का दोषी पाए जाने के बाद 2016 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोषी महिला ने डॉक्टर का प्रायवेट पार्ट काटकर उसकी पत्नी को भेज दिया था।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने दोषी महिला द्वारा उसकी हिरासत अवधि के आधार पर दायर दूसरी जमानत याचिका पर यह आदेश पारित किया।
पीठ ने आदेश में कहा,
" मामले की समग्रता को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से अपीलकर्ता की हिरासत की अवधि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपील के अंतिम निपटान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कुछ समय लग सकता है, मामले के गुण पर और टिप्पणी किए बिना हम अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने के इच्छुक हैं।"
मूलतः, अपीलकर्ता/दोषी को वर्ष 2013 में एक निजी होटल में एक डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट को सर्जिकल ब्लेड से काटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान पता चला कि उसने कटे हुए हिस्से को एक डिब्बे में पैक किया और कूरियर के जरिए मृतक की पत्नी को भेजा था।
सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश, कानपुर देहात की अदालत ने उसे दोषी पाया और वर्ष 2016 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट के समक्ष उसके वकील ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता पहले ही 10 साल से अधिक की वास्तविक जेल की सजा काट चुकी है और चूंकि उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील के अंतिम निपटान में कुछ समय लगेगा इसलिए उसे अपील लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
इस संबंध में उनके वकील ने सौदान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और सुलेमान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। दूसरी ओर राज्य के वकील ने हालांकि जमानत अर्जी का विरोध किया, लेकिन हिरासत की अवधि पर वे विवाद करने की स्थिति में नहीं थे।
अदालत ने इसे देखते हुए अपीलकर्ता को जमानत देते हुए उसे संबंधित अदालत की संतुष्टि के लिए 50,000/- रुपये की राशि के निजी बांड और इतनी ही राशि की दो जमानतदार पेश करने पर रिहा करने का आदेश दिया। न्यायालय ने उसकी अपील को उचित समय पर अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया।
अपीयरेंस
अपीलकर्ता के वकील: सिया राम वर्मा, लोक नाथ शुक्ला, मैरी पुंचा (शीब जोस), मोहम्मद। कलीम, प्रदीप कुमार मिश्र, राज कुमार तिवारी, विनय सरन
प्रतिवादी के वकील: जीए, विंध्याचल सिंह
केस टाइटल - प्रीति लता बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [आपराधिक अपील नंबर - 5365/2016
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