इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'बिलावजह की जल्दबाजी' में वकीलों के घर को गिराने और बार सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के प्रशासनिक कृत्य की अलोचना की

Update: 2022-12-05 11:31 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अमेठी जिला प्रशासन को जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों के खिलाफ लगातार एफआईआर दर्ज करने और बिना नोटिस दिए उनकी स्वामित्व वाली इमारतों को ध्वस्त करने पर फटकार लगाई।

जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने कहा,

"एफआईआर दर्ज करना, विध्वंस करना और यहां तक ​​कि याचिकाकर्ता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, पूर्व पदाधिकारियों और सदस्यों के खिलाफ यूपी बार काउंसिल से शिकायत करना... एक सप्ताह से भी कम समय में, न केवल जिला प्रशासन की ओर से बिलावजह की जल्दबाजी दिखाता है, बल्कि ऐसी कार्रवाइयां जिला प्रशासन के अधिकारियों की ओर से सद्भावना की कमी को भी दिखाती हैं।"

कोर्ट ने जिला प्रशासन, इससे जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को कानून का पालन करने के लिए कहा ताकि सभी के बीच न्याय की भावना पैदा हो सके।

मामला

कोर्ट जिला बार एसोसिएशन, अमेठी की ओर से महासचिव, उमा शंकर के माध्यम से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें जिला प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन परिषद और पुलिस प्रशासन, गौरीगंज, अमेठी द्वारा बार एसोसिएशन के सदस्यों के खिलाफ ज्यादतियों के विभिन्न आरोप लगाए गए थे।

याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने बार के सदस्यों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई इसलिए की है क्योंकि वे जिले में एक सिविल कोर्ट की स्थापना के लिए आवाज उठा रहे थे।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि उमा शंकर मिश्रा ( महासचिव, जिला बार एसोसिएशन, अमेठी ) का घर स्थानीय अधिकारियों ने भारी मशीनरी का उपयोग कर गिरा दिया।

संबंधित संपत्ति (जिस पर घर बनाया गया था और बाद में ध्वस्त कर दिया गया था) 16 मई, 2015 को पारित एक आदेश के माध्यम से मिश्रा को उनकी जमीन के बदले में दिया गया था।

विनिमय वैधानिक रूप से यूपी जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950 [UPZA & LR Act] की धारा 161 के तहत हुआ, वह भी न्यायालय द्वारा पारित आदेश के तहत।

हालांकि, जब उमेश प्रताप सिंह नामक एक व्यक्ति ने एसडीएम, गौरीगंज को शिकायत की कि भूमि का आदान-प्रदान गलत तरीके से किया गया था, तब उन्होंने तहसीलदार, गौरीगंज को जांच करने और रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा।

इसके बाद 16 नवंबर 2022 को पारित आदेश के माध्यम से एसडीएम ने अदला-बदली के आदेश को रद्द करते हुए कथित तौर पर तुरंत खतौनी में एंट्री कर दी और मकान को तुड़वा दिया गया।

याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि जिला प्रशासन ने याचिकाकर्ता-बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि एफआईआर दर्ज करना और कुछ और नहीं बल्कि जिला प्रशासन की ओर से बार एसोसिएशन के खिलाफ प्रतिशोध की स्पष्ट अभिव्यक्ति है।

रिट याचिका में बार एसोसिएशन के सदस्यों के मकानों/भवनों के विध्वंस से संबंधित कुछ अन्य आरोप भी लगाए गए हैं। यह भी आरोप लगाया गया कि प्रशासन वकीलों के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रहा था और उन्हें "सबक सिखाने" के लिए काम कर रहा था।

निष्कर्ष

न्यायालय ने 16 नवंबर को एसडीएम के अदला-बदली आदेश को रद्द करने, खतौनी में एंट्री करने और महासचिव, जिला बार एसोसिएशन, अमेठी के मकान को गिराने के आदेश पर शुरू में कोई टिप्पणी करने से परहेज किया क्योंकि न्यायिक कार्यवाही में आयुक्त/अपर आयुक्त के समक्ष चुनौती के अधीन था।

हालांकि, कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि आदेश पारित करने से पहले बार एसोसिएशन के महासचिव को उचित और पर्याप्त नोटिस नहीं दिया गया था।

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि जनहित याचिका में उल्लिखित घटनाओं और परिस्थितियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिला प्रशासन के खिलाफ शिकायत की गई हर चीज उचित नहीं थी।

कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट, अमेठी और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के सदस्यों/प्रतिनिधियों को आपस में बैठकर याचिकाकर्ता-बार एसोसिएशन के सदस्यों की शिकायतों का निवारण करने भी अनुरोध किया।

न्यायालय ने आशा व्‍यक्त की कि याचिकाकर्ता-बार एसोसिएशन के सदस्यों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाएगा और बार एसोसिएशन के वर्तमान और औपचारिक पदाधिकारियों सहित सदस्य वकीलों के लिए अपेक्षित व्यवहार करेंगे।

केस टाइटल- जिला बार एसोसिएशन अमेठी, महासचिव के माध्यम से बनाम यूपी राज्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व विभाग लखनऊ के माध्यम से और 6 अन्य [ पीआईएल नंबर 828 ऑफ 2022]

केस साइटेशन: 2022 लाइवलॉ (एबी) 518

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