समय पर फीस ना जमा कर पाने के कारण दलित छात्रा ने गंवा दी थी सीट, इलाहाबाद हाईकोर्ट IIT BHU को एडमिशन का निर्देश दिया, कोर्ट ने फीस के 15 हजार रुपये भी दिए

Update: 2021-11-30 09:46 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने IIT BHU वाराणसी को एक दलित छात्रा को एडमिशन देने का निर्देश दिया है। वित्तीय संकट के कारण छात्रा सीट एक्‍स्‍प्टेंस फी के रूप में 15000 रुपये जमा नहीं कर पाई थी। और अपनी सीट गंवा दी थी।

उल्लेखनीय है कि जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने छात्रा की ओर से खुद सीट आवंटन के लिए 15,000 रुपये दिए।

मामला

जेईई मेन्स में 92.77 प्रतिशत अंक के साथ छात्रा ने एससी कैटेगरी में 2062वीं रैंक प्राप्त की थी। साथ ही उसने अक्टूबर 2021 में एससी कैटेगरी में में 1469 रैंक के साथ जेईई एडवांस क्लियर किया था। काउंसलिंग में उसे IIT (BHU) वाराणसी में गणित और कंप्यूटिंग [बैचलर एंड मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (डुअल डिग्री)] के लिए सीट आवंटित की गई । हालांकि, वह निर्धारित तिथि से पहले 15000 रुपए की राशि की व्यवस्था नहीं कर सकी।

अदालत के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया था कि छात्रा के पिता का सप्ताह में दो बार डायलिसिस होता है। वह पिता के खराब स्वास्थ्य, चिकित्सा व्यय और COVID-19 के कारण पैदा हुए वित्तीय संकट के कारण सीट आवंटन के लिए आवश्यक 15000 रुपये की व्यवस्था नहीं कर सकी थी।

याचिकाकर्ता और उसके पिता ने संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण अपनी अनिश्चित स्थिति का उल्लेख करते हुए तिथ‌ि बढ़ाने के लिए कई बार पत्र लिखा लेकिन, उन्होंने प्रस्तुत किया कि प्राधिकरण की ओर से कोई जवाब नहीं आया।

टिप्पणियां

शुरुआत में कोर्ट ने ध्यान दिया कि दलित छात्रा ने इक्विटी क्षेत्राधिकार की मांग की थी ताकि वह आईआईटी में प्रवेश के अपने सपने को पूरा कर सके, इसलिए अदालत ने खुद उसकी फीस के 15000 जमा ‌किए। एक अंतरिम उपाय के रूप में संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण और IIT BHU को निर्देश दिया गया था कि यदि कोई सीट खाली ना हो तो एक अतिरिक्त सीट का गठन कर उसे प्रवेश दिया जाए।

कोर्ट ने कहा, हालांकि अगर कोई सीट खाली नहीं होती है तो अतिरिकक्त सीटों के खिलाफ याचिकाकर्ता गणित और कंप्यूटिंग [5 साल, बैचलर और मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (डुअल डिग्री)] कोर्स के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखेगी। याचिकाकर्ता को यह भी निर्देश दिया गया था कि वह तीन दिनों के भीतर जरूरी कागजात और फीस के साथ IIT BHU में रिपोर्ट करे।

एक अन्य मामले में यह देखते हुए कि यह न्याय का मजाक होगा अगर एक दलित छात्र को केवल ऑनलाइन शुल्क भुगतान प्रक्रिया में तकनीकी त्रुटियों के कारण IIT सीट से वंचित कर दिया जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह अनुच्छेद 142 के तहत एक असाधारण निर्देश पारित करते हुए IIT बॉम्बे से एक दलित छात्र को समायोजित करने के संबंध में जवाबतलब किया था। छात्र ने समय पर फीस जमा न कर पाने के कारण अपनी सीट गंवा दी थी। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर एक एसएलपी पर सुनवाई करते हुए उक्त फैसला दिया था।

केस शीर्षकः संस्कृति रंजन बनाम संगठन चेयरमैन के माध्यम से संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण और अन्य

ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News