एयर इंडिया पेशाब मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीजीसीए को 'अनियमित यात्री' टैग के खिलाफ अपील सुनने के लिए अपीलीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया

Update: 2023-03-23 07:16 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार को नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) को एयरलाइन की जांच समिति के आदेश के खिलाफ एयर इंडिया पेशाब मामले में आरोपी शंकर मिश्रा की अपील पर सुनवाई के लिए एक अपीलीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया। एयरलाइन की जांच समिति ने मिश्रा को ‘अनियमित यात्री’ घोषित किया और चार महीने के लिए उसके उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगा दिया।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने मिश्रा को दो सप्ताह के भीतर अपीलीय समिति के समक्ष अपील दायर करने की अनुमति दी।

अदालत ने निर्देश दिया,

“समिति का गठन दो सप्ताह में किया जाएगा। सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।”

अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने मिश्रा के खिलाफ मामले के मैरिट पर कोई राय व्यक्त नहीं की और उनकी अपील की सुनवाई के लिए अपीलीय समिति के गठन के लिए उनकी याचिका का निस्तारण कर दिया।

मिश्रा को एक निचली अदालत ने जनवरी में जमानत दी थी, उन पर पिछले साल नवंबर में न्यूयॉर्क-दिल्ली एयर इंडिया की उड़ान में एक बुजुर्ग महिला पर पेशाब करने का आरोप है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से पेश वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि अपीलीय कमेटी का गठन नवंबर 2018 में हाईकोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश के अध्यक्ष और दो अन्य सदस्यों के साथ किया गया था।

अदालत को बताया गया कि अध्यक्ष ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, अन्य दो सदस्यों ने समिति में बने रहने के लिए अपनी सहमति दे दी है। आगे यह भी कहा गया कि मंत्रालय को दो सप्ताह के भीतर अपीलीय समिति गठित करने की उम्मीद है।

अदालत ने कहा, "चूंकि अध्यक्ष की गैर-मौजूदगी के कारण एक अंतराल पैदा होता है, याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर अपील दायर करने की अनुमति दी जाती है।"

वकील अक्षत बाजपेयी, ईशानी शर्मा, शोभित त्रेहन, रेणुका परमानंद के माध्यम से दायर याचिका में मिश्रा ने प्रस्तुत किया कि जांच समिति द्वारा पारित आदेश "तथ्यात्मक और कानूनी दुर्बलताओं" से ग्रस्त है और विमान के भौतिक लेआउट को पूरी तरह से गलत समझा गया है।

मिश्रा ने अदालत को बताया कि हालांकि उन्होंने जांच समिति के आदेश के खिलाफ डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को ईमेल लिखे थे, लेकिन उनकी अपील की सुनवाई के लिए कोई अपीलीय कमेटी गठित नहीं की गई थी।

याचिका में कहा गया है,

"ये कानून की एक स्थापित स्थिति है कि अपील का एक वैधानिक अधिकार एक निहित अधिकार है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अपीलीय समिति का गैर-गठन याचिकाकर्ता के अधिकार को समाप्त कर रहा है, जो उसके लिए उपलब्ध सभी उपायों को समाप्त कर रहा है। इस तरह, नागरिक उड्डयन मंत्रालय की निष्क्रियता सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।“

मिश्रा ने सितंबर 2019 में जारी "नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं के लिए अनियंत्रित यात्रियों" के नियम 8.3 के अनुसार एक अपीलीय समिति का शीघ्र गठन करने का निर्देश मांगा था।

केस टाइटल: शंकर श्यामनवल मिश्रा बनाम भारत संघ व अन्य।



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