एआईबीई-XVII- कुछ उम्मीदवारों को गुमराह करने और धोखा देने के आरोपों की जांच के लिए बीसीआई ने कमेटी का गठन किया

Update: 2023-02-07 10:37 GMT

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने 6 फरवरी को गुजरात के क्षेत्रीय समाचार पत्रों में एडवोकेट जिग्नेश जोशी और अन्य की संलिप्तता और 5 फरवरी 2023 को राजकोट में एआईबीई-XVII में बैठने वाले कुछ उम्मीदवारों को गुमराह करने और धोखा देने के बारे में समाचार पत्रों की रिपोर्ट से संबंधित सच्चाई का पता लगाने के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया की जनरल काउंसिल ने सर्कुलेशन के जरिए 6 फरवरी के एक प्रस्ताव के आधार पर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया है।

इस कदाचार में शामिल व्यक्तियों का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच के लिए तथ्यान्वेषी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया गया है।

गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जे उपाध्याय तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता करेंगे और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य जयंत बी जयभावे और गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रोफेसर (डॉ) एस शांताकुमार सदस्य होंगे।

बीसीआई द्वारा 7 फरवरी को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "समिति से अनुरोध है कि वह सूचना प्राप्त होने की तारीख से 7 दिनों के भीतर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।"

बीसीआई के अनुसार, एडवोकेट जिग्नेश जोशी द्वारा कथित तौर पर परीक्षार्थियों को सप्लाय की गई आंसर टैली जो मीडिया में रिपोर्ट की गई, उसकी तुलना और जांच से आंसर टेली के लीक होने या अनुचित साधनों के उपयोग का तथ्य असत्य प्रतीत होता है। हालांकि, प्रथम दृष्टया यह स्थापित होता है कि एडवोकेट जिग्नेश जोशी और उनके साथियों ने परीक्षा में शामिल होने वाले कुछ युवा वकीलों को मोबाइल के माध्यम से उनके व्हाट्सएप ग्रुप पर जवाब देने के झूठे बहाने से गुमराह करने की कोशिश की थी।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि

"यह एडवोकेट जिग्नेश जोशी द्वारा बार एसोसिएशन के चुनाव में अपने वोट हासिल करने के प्रयास में अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किया गया है। इससे पता चलता है कि उम्मीदवारों को दिए गए 28 उत्तरों में से 21 उत्तर गलत हैं। इसमें वैसे, एडवोकेट जिग्नेश जोशी ने उम्मीदवारों को धोखा देने के लिए गुमराह करने और लुभाने की कोशिश की है। हालांकि, एक्ज़ाम हॉल में कुछ वकीलों द्वारा इस उद्देश्य के लिए मोबाइल का उपयोग करना एक बहुत ही गंभीर मामला है। एआईबीई के दौरान मोबाइल के उपयोग की अनुमति नहीं है।"

इसके अलावा, यदि किसी भी प्रकार के अनुचित साधनों के उपयोग का तथ्य स्थापित होता है, तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दोषी व्यक्तियों के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक और अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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