यदि अदालतें फिजिकल तौर पर काम करेंगी तो अधिवक्ता और उनके क्लर्क लॉकडाउन के दौरान कोर्ट आ सकते हैंः केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि यदि अदालतों में फिजिकल तौर पर काम होगा तो अधिवक्ता और उनके क्लर्क भी लॉकडाउन के दौरान कोर्ट में आ सकते हैं, बशर्ते इसके लिए वे अपने पहचान पत्र के साथ निर्धारित प्रारूप में एक अंडरटेकिंग साथ रखें।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि,
''राज्य पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया जाता है कि वह सभी पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश जारी कर दें कि वकीलों को अदालतों में आवश्यक पहुंच दी जाए क्योंकि अन्यथा यह आम आदमी होगा जो पीड़ित होगा, विशेष रूप से आपराधिक मामलों में।''
इसके अलावा, खंडपीठ ने संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा परिचय-पत्र की जांच करने के बाद आपातस्थिति में अधिवक्ता कार्यालयों तक जाने की अनुमति भी दी है।
''निश्चित रूप से, असाधारण परिस्थितियों में अगर किसी वकील को कार्यालय तक जाने की आवश्यकता होती है, तो यह पुलिस अधिकारी पर निर्भर होगा कि वह परिचय-पत्र को सत्यापित करे और निर्णय ले क्या वहां जाने की अनुमति दी जा सकती है।''
जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस डॉ कौसर एदप्पगाथ की डिवीजन बेंच इस मामले में एडवोकेट मेलविन बायजू द्वारा एडवोकेट जी श्रीकुमार (चेलूर) और ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट एसोसिएशन के माध्यम से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एडवोकेट बायजू ने मांग की थी कि केरल में COVID19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के बीच आवाजाही की अनुमति दी जाए, जबकि एसोसिएशन ने मांग की थी कि अधिवक्ता और अधिवक्ता क्लर्क को 'आवश्यक सेवाएं' मानने की घोषणा की जाए।
केरल में 8 मई से 16 मई तक लॉकडाउन लग रहा है।
जब एडवोकेट बायजू की याचिका पर पिछली बार सुनवाई की गई थी तो राज्य पुलिस प्रमुख ने केरल हाईकोर्ट को आश्वासन दिया था कि केरल में COVID19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के बीच अधिवक्ता और उनके लिपिकों को उनके कार्यालयों, न्यायालयों, और अन्य कानूनी मंचों तक आवाजाही की अनुमति दी जाएगी।
वरिष्ठ सरकारी वकील ने दलील दी थी अधिवक्ताओं को जांच से छूट नहीं दी जाएगी, लेकिन पहचान दस्तावेज दिखाने पर और यह बताने पर कि वह जाना चाहते हैं,उनको आवाजाही की अनुमति दे दी जाएगी।
आज अपने आदेश में, न्यायालय ने निर्देश दिया है कि पूर्ण लाॅकडाउन न होने पर यह अंडरटेकिंग जारी रहेगी।
अदालत ने कहा कि अगर आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाता है या इसी तरह के उपाय किए जाते हैं तो उस स्थिति में भी अधिवक्ता और उनके क्लर्क को कोर्ट आने की अनुमति दी जाएगी यदि फिजिकल कोर्ट लगाई जाती हैं या इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी की जाती है, बशर्ते उनको अपने पहचान पत्र के साथ एक निर्धारित प्रारूप में अंडरटेकिंग अपने साथ रखनी होगी।
''राज्य पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया जाता है कि वह सभी पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश जारी कर दें कि वकीलों को अदालतों में आवश्यक पहुंच दी जाए क्योंकि अन्यथा यह आम आदमी होगा जो पीड़ित होगा, विशेष रूप से आपराधिक मामलों में।''
आज की सुनवाई के दौरान, ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट एसोसिएशन की ओर से पेश एडवोकेट जॉन मणि वी ने दलील दी कि अधिवक्ता सेवाओं को आवश्यक सेवाओं के रूप में घोषित किया जाए और उनको अपने कार्यालयों में आने-जाने की अनुमति दी जाए।
एडवोकेट मेलविन बायजू के लिए एडवोकेट जी श्रीकुमार, बार एसोसिएशन के लिए एडवोकेट थॉमस अब्राहम, और केरल बार काउंसिल काउंसिल के एडवोकेट रजित ने अदालतों और कार्यालयों में आवाजाही के लिए लगाए गए प्रतिबंधों से छूट मांगी।
न्यायालय ने वकीलों को आवश्यक सेवाओं में शामिल करने की मांग को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि यह सरकार का एक नीतिगत निर्णय है। ज्यूरिस्ट एसोसिएशन को इस संबंध में अपने प्रतिनिधित्व के साथ सरकार से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी गई है।