"सरकार इस मामले में संवेदनशील है" : एजी ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया, अधिकारी हिजाब मामले में कोर्ट के अंतरिम आदेश का उल्लंघन नहीं करेंगे

Update: 2022-02-21 15:10 GMT

कर्नाटक के एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) ने सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि हाईकोर्ट के 10 फरवरी के उस आदेश का उल्लंघन किसी भी सरकारी विभाग द्वारा नहीं किया जाएगा, जिस आदेश में हाईकोर्ट ने स्टूडेंट को निर्धारित यूनिफॉर्म वाले संस्थानों में कक्षाओं में धार्मिक पोशाक पहनने से रोक लगाई थी।

एजी का यह आश्वासन एक शिकायत के जवाब में आया कि बिना किसी ड्रेस कोड के कॉलेजों में भी अधिकारियों द्वारा हिजाब प्रतिबंध लागू किया जा रहा है और शिक्षकों सहित हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं को परेशान करने के लिए कॉलेज के गेट पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

वकील मोहम्मद ताहिर ने शुक्रवार (18 फरवरी) को एक याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को सूचित किया था कि कोर्ट ने कानून और व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए अंतरिम आदेश ( हाईकोर्ट का 10 फरवरी का आदेश) पारित किया है। आदेश में विशेष रूप से कहा गया है कि यह केवल उन कॉलेजों तक ही सीमित है, जहां सीडीसी ने कोई यूनिफॉर्म निर्धारित किया है। हालांकि इसके बावजूद, राज्य ने इस आदेश को आगे बढ़ाया है और इसे सभी स्कूलों, डिग्री कॉलेजों और कॉलेजों में लागू कर दिया है। यहां तक कि स्कूल के शिक्षकों को भी नहीं बख्‍शा गया है।"

इसके अलावा, उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि आदेश को कैसे लागू किया जा रहा है, इस पर एक रिपोर्ट मांगी जाए। उन्होंने कहा, "चूंकि इस आदेश से मुस्लिम समुदाय के लोगों को दिक्कत हो रही है क्योंकि हर विभाग अलग-अलग तरीके से इसकी व्याख्या कर रहा है।"

उन्होंने यह भी कहा,

"अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने एक आदेश पारित किया है, यहां तक ​​कि उर्दू स्कूल जहां 100 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, सभी शिक्षक मुस्लिम हैं, वे भी इस आदेश को लागू कर रहे हैं। इससे समाज में अराजकता पैदा हो रही है।"

उन्होंने आगे कहा,

"आदेश का उद्देश्य कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करना था, लेकिन इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। स्कूलों और कॉलेजों के गेट पर पुलिस तैनात है और वे मुस्लिम लड़कियों को बुर्का और दुपट्टा हटाने के लिए मजबूर कर रहे हैं और उन्हें धमका रहे हैं। जबकि आदेश कक्षा के अंदर हिजाब नहीं पहनने के लिए था।"

इस मामले में आज महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने अदालत को सूचित किया,

"मैंने एक पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव से संवाद किया है और उन्हें यदि संभव हो तो आज या कल सुबह सबसे पहले, शिकायतों को दूर करने के लिए सभी संबंधितों की बैठक बुलाने के लिए कहा है। "

उन्होंने कहा,

"वे इसे कैसे हल करेंगे, मैं उन्हें (एडवोकेट ताहिर) से अवगत कराऊंगा, लेकिन निश्चिंत रहें, मैंने मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग और अन्य से मौखिक रूप से बात की है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस तरह का कुछ भी नहीं किया जाएगा। लेकिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सभी अधिकारियों द्वारा जो भी कार्रवाई की जाएगी, उसकी सूचना लोर्डशिप को दी जाएगी, साथ ही मेरे विद्वान मित्र निश्चिंत रहें, कुछ भी अनहोनी नहीं होगी।"

एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जीआर मोहन ने अदालत को बताया कि बाल अधिकार आयोग में पुरुष शिक्षकों के सामने उनका हिजाब/बुर्का हटाने के लिए बाल अधिकारों के कथित उल्लंघन के बारे में शिकायत की जा रही है। उन्होंने कहा कि हिजाब को हटाने के लिए कॉलेज परिसर के अंदर एक अलग कमरा उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

इसके जवाब में नवदगी ने कहा, ''जो कुछ भी होगा, हम ध्यान रखेंगे, हम उस पर गौर करेंगे। सरकार इसके प्रति संवेदनशील है।''

अदालत ने अपने 10 फरवरी के आदेश में कहा था,

"इन सभी याचिकाओं पर विचार किए जाने तक, हम सभी छात्रों को उनके धर्म या आस्था पर विचार किए बिना भगवा स्टॉल और इससे जुड़े मामले में स्कार्फ, हिजाब, धार्मिक झंडे आदि को कक्षा के भीतर पहनने से रोकते हैं।"

कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया,

"हम यह स्पष्ट करते हैं कि यह आदेश उन संस्थानों तक ही सीमित है, जहां कॉलेज विकास समितियों ने ड्रेस कोड/यूनिफॉर्म निर्धारित किया है।" कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के लिए शर्तों को बढ़ाना छात्रों के करियर के लिए हानिकारक होगा और यह स्टूडेंट्स के सर्वोत्तम हित में है कि वे धार्मिक कपड़ों के मुद्दे पर आंदोलन जारी रखने के बजाय कक्षाओं में लौट आएं।

हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी। आज की सुनवाई की रिपोर्ट यहां पढ़ें

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