अंतिम वरिष्ठता सूची को चुनौती के अभाव में पदोन्नति के प्रशासनिक निर्णय पर सवाल नहीं उठाया जा सकता: पटना हाईकोर्ट

Update: 2022-09-01 07:52 GMT

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने कहा कि प्रस्तावित पदोन्नति को चुनौती देने के लिए इससे पीड़ित व्यक्ति को पहले अंतिम वरिष्ठता सूची को चुनौती देनी होगी। अन्यथा, ऐसी वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नति में कोई दोष नहीं पाया जा सकता है।

जस्टिस पी.बी. बजंथरी और जस्टिस राजीव रॉय की खंडपीठ ने टिप्पणी की,

"जब तक फीडर कैडर की अंतिम वरिष्ठता सूची में निर्दिष्ट रैंकिंग को अपीलकर्ता द्वारा चुनौती नहीं दी जाती है, वह प्रस्तावित पदोन्नति सूची से संबंधित प्रशासनिक निर्णय को चुनौती देने का हकदार नहीं है। ऐसी प्रस्तावित पदोन्नति सूची अंतिम ग्रेडेशन सूची या मौजूदा स्नातक शिक्षकों की पदक्रम सूची पर आधारित है।"

अदालत राज्य सरकार के प्राथमिक शिक्षा विभाग में एक प्रशिक्षित शिक्षक की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रस्तावित पदोन्नति सूची में 9वें प्रतिवादी के ऊपर रखने की मांग की गई थी।

उनका दावा था कि निजी प्रतिवादी एक प्रशिक्षित शिक्षक नहीं है और वेतनमान और अन्य चीजों के विस्तार से संबंधित विभिन्न दस्तावेजों के संबंध में, अपीलकर्ता को उनके ऊपर रखा जाना चाहिए था।

शुरुआत में, कोर्ट ने नोट किया कि आवश्यक पक्षों के नॉन-ज्वाइंडर के लिए यह मामला खराब है। अपीलकर्ता ने उन व्यक्तियों को सूचीबद्ध नहीं किया था जिनके अधिकारों के प्रभावित होने की स्थिति में रिट अपील की अनुमति दी गई थी।

आगे कहा कि प्रस्तावित पदोन्नति सूची केवल एक प्रशासनिक आदेश है, जो फीडर कैडर की अंतिम वरिष्ठता सूची अर्थात् स्नातक शिक्षकों पर आधारित है। हालांकि, इस वरिष्ठता सूची पर कभी सवाल नहीं उठाया गया है।

इस तरह कोर्ट ने अपील खारिज कर दी।

केस टाइटल: रामायण प्रसाद बनाम बिहार राज्य एंड अन्य।

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