अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने नियमित जमानत याचिका को अग्रिम जमानत याचिका माना, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे 'गंभीर' मुद्दा बताया

Update: 2022-01-22 03:55 GMT

Punjab & Haryana High court

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट द्वारा पारित एक जमानत आदेश पर सवाल उठाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट ने आरोपी के जमानत याचिका दायर करने के समय हिरासत में होने के बावजूद, नियमित जमानत याचिका को अग्रिम जमानत याचिका के रूप में माना।

जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी की खंडपीठ ने इसे 'गंभीर चिंता' का मामला बताते हुए जिला फरीदकोट के संबंधित प्रशासनिक न्यायाधीश को कानून के अनुसार यदि आवश्यक हो तो आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए मामले की फाइल भेजी।

संक्षेप में तथ्य

न्यायालय भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420, 120-बी के तहत एक मामले में सुखचैन सिंह @ चैनी की नियमित जमानत याचिका पर विचार कर रहा था।

वह 18 मार्च, 2021 से हिरासत में है, चूंकि उसकी नियमित जमानत याचिका (इसे अग्रिम जमानत याचिका के रूप में मानते हुए) निचली अदालत (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट की अदालत) द्वारा खारिज कर दी गई थी, इसलिए वह हाईकोर्ट चला गया।

हालांकि मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट ने उसकी नियमित जमानत याचिका को अग्रिम जमानत याचिका के रूप में माना और इसलिए, न्यायालय ने सात जनवरी, 2022 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट को इस संबंध में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता की नियमित जमानत हरबंस सिंह लेखी, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट को निस्तारण हेतु सूचीबद्ध की गई थी। इसमें नियमित जमानत मांगी गई थी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि यह विशेष रूप से याचिका में उल्लेख किया गया कि आरोपी न्यायिक हिरासत में है। हालांकि, रिपोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट ने जोड़ा कि इसे सीआरपीसी की धारा 438 के तहत दायर एक याचिका पर विचार करते हुए खारिज कर दिया गया।

रिपोर्ट में इस संबंध में एक स्पष्टीकरण भी था। इसमें संबंधित न्यायाधीश ने कहा कि ज्यादा काम के कारण गलती हुई। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी।

हालांकि, रिपोर्ट के अंतिम भाग में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, फरीदकोट ने प्रस्तुत किया कि अधिकारी द्वारा प्रस्तुत टिप्पणियों में आदेश पारित करने का कोई कानूनी रूप से उचित कारण नहीं है।

इस पृष्ठभूमि के खिलाफ हाईकोर्ट ने उक्त आदेश का अवलोकन किया और कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए, न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले को सूचना और आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए जिला फरीदकोट के प्रशासनिक न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए।

हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता से कोई वसूली प्रभावित नहीं होनी है और वह किसी भी गवाह को प्रभावित करने में सक्षम नहीं होगा या जमानत पर रिहा होने पर न्याय से भाग सकता है, उसे जमानत दे दी।

केस का शीर्षक - सुखचैन सिंह @ चैनी बनाम पंजाब राज्य

केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (पी एंड एच) 8

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