बंदी के प्रतिनिधित्व पर विचार करने में 14 दिनों का अत्यधिक और अस्पष्टीकृत विलंब निवारक निरोध आदेश को रद्द करने के लिए पर्याप्त: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2022-11-08 07:59 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में निवारक निरोध के एक आदेश को यह देखते हुए रद्द कर दिया कि बंदी की ओर से किए गए अभ्यावेदन पर विचार करने में 14 दिनों की असाधारण और अस्पष्टीकृत देरी की गई थी।

कोर्ट ने कहा,

इस विषय में, माना जाता है कि माननीय मंत्री गृह, मद्य निषेध और आबकारी विभाग की ओर से अभ्यावेदन पर विचार करने में 14 दिनों का अत्यधिक और अस्पष्टीकृत विलंब किया गया है। इसलिए आक्षेपित निरोध आदेश निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आरएमटी टीका रमन एक बंदी की बेटी द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। बंदी को तमिलनाडु प्र‌िविंशन ऑफ एक्टिवटीज़ ऑफ बूटलेगर्स, ड्रग-ऑफेंडर्स, फॉरेस्ट ऑफेंडर्स, गुंडाज़, इम्मोरल ट्रै‌‌‌फिक ऑफेंडर्स, सैंड ऑफेंडर्स, सैक्‍सुअल ऑफेंडर्स, स्लम ग्रैबर्स और वीडियो पाइरेट्स एक्ट, 1982 (तमिलनाडु एक्ट 14 ऑफ 1982) के तहत हिरासत में लिया गया था।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उप सचिव की ओर से विचार किए जाने के बाद भी मंत्री-गृह, मद्य निषेध और आबकारी विभाग ने उनके प्रतिनिधित्व पर विचार करने में 14 दिनों की देरी की। इस प्रकार, यह दलील दी गई कि प्रक्रियात्मक रक्षोपायों का घोर उल्लंघन था जो निरोध को दूषित करता है।

दूसरी ओर, अतिरिक्त लोक अभियोजक ने प्रस्तुत किया कि यद्यपि अभ्यावेदन पर विचार करने में देरी हुई थी, केवल इसी कारण से निरोध आदेश को रद्द नहीं किया जा सकता था। इसके अलावा, बंदी के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं था, जो संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 के तहत उसके अधिकारों को प्रभावित करेगा।

अदालत ने रेखा बनाम तमिलनाडु राज्य, तारा चंद बनाम राजस्थान राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और सुमैया बनाम सेक्रेटरी टू गवर्नमेंट में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जहां अदालत ने बार-बार माना है कि अस्पष्टीकृत विलंब निरोध को अवैध बनाता है और यह निरोध आदेश को रद्द करने के लिए पर्याप्त है। इसे देखते हुए अदालत ने प्रतिवादियों को हिरासत में लिए गए व्यक्ति को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: लिली पुष्पम बनाम अतिरिक्त मुख्य सचिव और अन्य

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Mad) 456

केस नंबर: HCP No 1223 of 2022


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