सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी होने के बाद पुलिस मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती: तेलंगाना हाईकोर्ट

Update: 2022-02-13 07:15 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी करने के बाद अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी को गिरफ्तार करना है तो पुलिस को संबंधित मजिस्ट्रेट से अनुमति प्राप्त करनी होगी। नोटिस जारी होने के बाद संबंधित मजिस्ट्रेट की बिना अनुमति के पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती।

जस्टिस ललिता कन्नेगंती की खंडपीठ ने इस प्रकार आईपीसी की धारा 406, धारा 420 के तहत दंडनीय अपराधों के तहत दर्ज एक मामले में आवेदक द्वारा दायर एक अग्रिम जमानत याचिका पर विचार किया।

संक्षेप में मामला

याचिकाकर्ता के वकील राजेंद्र खन्ना ने प्रस्तुत किया कि इससे पहले, अग्रिम जमानत के लिए याचिकाकर्ता द्वारा दायर एक याचिका पर अदालत ने संबंधित पुलिस को सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत प्रक्रिया और अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशानिर्देश का पालन करने का निर्देश दिया था।

उक्त याचिका के निपटारे के बाद याचिकाकर्ता को सीआरपीसी की धारा धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी किया गया था और वह दो मौकों पर पुलिस के सामने पेश हुआ था और जब भी वह उनके सामने पेश हुआ, पुलिस ने पावती की कोई रसीद नहीं दी और इस प्रकार याचिकाकर्ता ने बाध्य होकर सभी प्रासंगिक सामग्री पुलिस महानिदेशक के साथ-साथ पुलिस आयुक्त को भेजी।

याचिकाकर्ता के वकील ने आगे कहा कि सभी मामलों में जहां सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी किया गया है, पुलिस कोई पावती जारी नहीं कर रही है और कभी-कभी, वे यह कहते हुए सामने आ रहे हैं कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कदम उठा रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने इन परिस्थितियों में अग्रिम जमानत की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने विचार किया।

कोर्ट की टिप्पणियां

याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने पहले ही पुलिस महानिदेशक को उन मामलों में पावती जारी करने के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है, जहां आरोपी सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत पुलिस के सामने पेश होता है।

कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया कि अगर आरोपी को लगता है कि पुलिस सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत प्रक्रिया या अर्नेश कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रही है तो वे संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ अपने आरोपों को साबित करने के लिए सामग्री के साथ अवमानना ​​​​याचिका दायर कर सकते हैं।

हालांकि कोर्ट ने यह रेखांकित किया कि केवल इस आधार पर कि पुलिस कोई पावती नहीं दे रही है, कोई व्यक्ति अग्रिम जमानत की मांग नहीं कर सकता।

इसके अलावा, यह देखते हुए कि सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी करने के बाद, पुलिस संबंधित मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद ही आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है, आपराधिक याचिका का निपटारा किया गया।

अदालत ने संबंधित पुलिस को धारा 41-ए सीआरपीसी के तहत अपेक्षित प्रक्रिया और अर्नेश कुमार के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा तैयार किए गए दिशानिर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया।

तेलंगाना हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में एक आरोपी को सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत गिरफ्तारी की प्रक्रिया का उल्लंघन करने पर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने की स्वतंत्रता दी थी । कोर्ट ने याद दिलाया कि गिरफ्तारी के लिए 'अर्नेश कुमार' मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना पुलिस का कर्तव्य है।

केस टाइटल - सैयद इनायतुल्लाह बनाम तेलंगाना राज्य

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