जाँच के लिए अदालत निर्धारित समय सीमा को आगे बढ़ाने की अपील समीक्षा नहीं है; सीआरपीसी की धारा 362 के तहत रोक इस पर लागू नहीं होता : दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2019-06-08 06:32 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना के मामले में यह कहा है कि अदालत ने जाँच के लिए जो समय सीमा निर्धारित की है उसको बढ़ाने की अपील का मतलब इस मामले की समीक्षा नहीं है और इसलिए सीआरपीसी की धारा 362 के तहत उस पर रोक प्रभावी नहीं हो सकती है।

अस्थाना की अपील को अदालत ने किया था ख़ारिज
अपने ख़िलाफ़ एफआईआर को निरस्त किए जाने की अस्थाना की अपील को ख़ारिज करते हुए हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को सीबीआई को यह निर्देश दिया था कि वह 10 सप्ताह के भीतर मामले की जाँच पूरी करे।

इसके बाद, चूँकि जाँच निर्धारित समय पर पूरी नहीं हो पाई, सीबीआई ने जाँच पूरी करने के लिए और समय की माँग की।

अस्थाना और अन्य आरोपियों के वक़ील ने किया विरोध
अस्थाना और अन्य आरोपियों के वक़ील ने इसका इस आधार पर विरोध किया कि और समय की माँग वास्तव में 11 जनवरी के फ़ैसले की समीक्षा की माँग है। चूँकि आपराधिक न्यायक्षेत्र में सीआरपीसी की धारा 362 के तहत समीक्षा की अनुमति नहीं है, इसलिए इस आवेदन पर ग़ौर नहीं किया जा सकता है।

सीबीआई की दलील
सीबीआई का कहना था कि वह इस फ़ैसले की समीक्षा नहीं चाहती है। इस बारे में शिवदेव सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य (AIR 1963 SC 1909) मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर भरोसा जताया गया। यह भी कहा गया कि वर्तमान मामले में किसी ग़लती को ठीक किए जाने की माँग नहीं की जा रही है और सिर्फ़ उचित जाँच के लिए निर्धारित समय को बढ़ाए जाने की सीबीआई द्वारा माँग की जा रही है।

इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि सीबीआई की अर्ज़ी पर ग़ौर किया जा सकता है।

"प्रतिवादी सीबीआई न तो पूर्व के आदेश की समीक्षा चाहती है न ही वह इसको समाप्त करने की अपील कर रही है बल्कि एजेंसी जाँच पूरी करने के लिए और समय की माँग कर रही है," न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा।

सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए उसे जाँच पूरी करने के लिए 4 महीने का और समय दिया।

सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक अस्थाना और सीबीआई के उपाधीक्षक देवेंदर कुमार के ख़िलाफ़ 3 करोड़ का घूस लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया गया था।

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