आपसी समझौते से तलाक होने पर मां रखरखाव संबंधी बेटी के अधिकारों को नहीं छोड़ सकती : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

“यह निश्चित रूप से पत्नी के लिए खुला है कि वह रखरखाव या स्थायी गुजारा भत्ता या स्त्रीधन के किसी भी दावे को छोड़ दे लेकिन वो रखरखाव और अन्य मुद्दों से संबंधित बेटी के निहितार्थ अधिकारों को नहीं छोड़ सकती है।"

Update: 2019-05-03 05:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपसी सहमति से तलाक के दौरान एक मां उन अधिकारों को नहीं छोड़ सकती जो रखरखाव और अन्य मुद्दों के रूप में बेटी के लिए निहितार्थ हैं।

एक अपील पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​की पीठ ने उन पक्षों के बीच एक शर्त पर गौर किया जो इस प्रकार है कि आवेदक ने बेटी के मासिक रखरखाव का अधिकार गैर-आवेदक को जारी किया है।

अदालत ने इस संबंध में कहा : "यह निश्चित रूप से पत्नी के लिए खुला है कि वह रखरखाव या स्थायी गुजारा भत्ता या स्त्रीधन के किसी भी दावे को छोड़ दे, लेकिन वो रखरखाव और अन्य मुद्दों से संबंधित बेटी के निहितार्थ अधिकारों को नहीं छोड़ सकती है।"

पीठ ने तब उक्त खण्ड को रद्द करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी निहित शक्ति का सहारा लिया।

सहमति की शर्तों में एक अन्य खंड यह भी था कि पत्नी अपने पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज शिकायत वापस ले लेगी। चूंकि उसने शिकायत वापस नहीं ली इसलिए पति द्वारा अवमानना ​​याचिका दायर की गई जिसे अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया।

पीठ ने कहा: "यदि पक्षकार इस समझौते पर पहुंचे थे जिसमे प्रत्येक पक्ष द्वारा एक दूसरे के खिलाफ दायर मामलों को वापस लेने का फैसला किया गया था तो समझौता पूरी तरह से प्रभावित होना चाहिए।" पीठ ने इस संबंध में पति और रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द कर दिया।


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