जगाने पर माँ की हत्या करने वाले व्यक्ति की मौत की सज़ा को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बदला [निर्णय पढ़े]
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे व्यक्ति की मौत की सज़ा को बदल दिया जिसने अपनी माँ की हत्या इसलिए कर दी थी क्योंकि उसने उसको जगा दिया था।
अभियोजन का मामला यह है कि झुम्मक बाई ने अपने बेटे अशोक को यह कहते हुए उठाया कि उसे इस समय तक नहीं सोना चाहिए था और यह कह कर वह आँगन में चली गई। अशोक, उसका बेटा ,उठा और उसने अपनी माँ को लाठी से मारना शुरू कर दिया। अपने रिश्तेदारों की मौजूदगी में उसने अपनी माँ की हत्या कर दी।
निचली अदालत के फ़ैसले को सही ठहराते हुए न्यायमूर्ति अखिल कुमार श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने डॉ. रत्नेश कुररिया के बायन पर ग़ौर करते हुए कहा कि इसके बावजूद कि आरोपी मानसिक रूप से अस्थिर नहीं था, पर वह मानसिकि रूप से परेशान था और एक सामान्य व्यक्ति की तरह स्वस्थ भी नहीं था।
"मृतक झुम्मक बाई ने आरोपी को नींद से उठाया और आरोपी ने ग़ुस्से में, भावावेग में, बिना किसी पूर्व-योजना के मृतक पर हमला कर दिया और ऐसा करने से पहले न तो उसने कोई षड्यंत्र नहीं किया था और ना ही उसकी कोई योजना बनाई थी और यह घटना तत्काल आवेग में हुआ", ऐसा खना था कोर्ट का जिसने यह भी कहा कि यह हत्याकांड 'विरलों से विरल' मामले में नहीं आता।
आरोपी को मौत की सज़ा देने के फ़ैसले को बदलकर उसे आजीवन कारावास कर दिया। पीठ ने कहा, "यद्यपि अपराध हत्या का है और वह भी आरोपी-याचिकाकर्ता ने अपनी माँ की ही हत्या की है पर इस घटना को 'विरलों में विरल' नहीं कहा जा सकता, इसलिए हमारी राय में इस मामले में मौत की सज़ा जैसा कठोर दंड नहीं दिया जा सकता।"