दूसरे नोटिस के बाद चेक बाउंस की शिकायत अदालत में स्वीकार्य है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-01-18 11:39 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बैंक में दुबारा चेक जमा कराने और उसके फिर बाउंस होने पर नोटिस देने और इस आधार पर दर्ज की गई शिकायत कोर्ट में स्वीकार्य है।

Sicagen India Ltd vs. Mahindra Vadineni मामले में आरोपी द्वारा जारी किए गए चेक को शिकायतकर्ता ने बैंक में पेश किया और जब वह लौट गया तो 31.08.2009 को निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट ऐक्ट कीधारा 138 के तहत एक क़ानूनी नोटिस नोटिस जारी किया गया और उसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई गई।

मद्रास हाईकोर्ट ने आरोपी की याचिका को स्वीकार कर लिया और शिकायत को यह कहकर निरस्त कर दिया कि 'राशि का ज़िक्र पहले नोटिस में भी विशेष रूप से किया गया है' और इसके बाद शिकायतकर्ता ने ख़ुदही इस मामले को स्थगित कर दिया और फिर 25.01.2010 को दूसरा नोटिस जारी किया जिसका भी कारण वही था इसलिए यह नोटिस स्वीकार नहीं किया जा सकता।

अपने फ़ैसले में न्यायमूर्ति आर बनुमती और इंदिरा बनर्जी के पीठ ने MSR Leathers vs. S. Palaniappan मामले में तीन जजों की पीठ द्वारा सुनाए गए फ़ैसले पर ग़ौर किया जिसमें कहा गया था कि धारा 138 मेंऐसा कुछ नहीं है जो चेक धारक को बाद में चेक पेश करने और इसके बाउंस होने पर आपराधिक शिकायत करने से रोके।

MSR Leathers vs. S. Palaniappan मामले में आए फ़ैसले को वर्तमान मामले पर लागू करते हुए कोर्ट ने कहा, "….वर्तमान मामले में चेक को दो बार बैंक में जमा कराया गया और दो बार नोटिस जारी कियागया…हमारी राय में हाईकोर्ट को आपराधिक शिकायत जो दर्ज कराई गई थी उसे निरस्त करना चाहिए था और इसलिए उस आदेश को ख़ारिज किया जाता है।"

हाईकोर्ट के आदेश को ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने इस मामले को दुबारा सुनवाई के लिए निचली अदालत को भेज दिया।


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