आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करना कर्मचारी की ईमानदारी पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाता : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ प्रशासन की इस बात को लेकर आलोचना की है कि खाद्य और आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के विभाग ने अपने एक कर्मचारी के पीछे इसलिए पड़ गई है क्योंकि उसने आरटीआई के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है। कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का पूरा अधिकार है और ऐसा करना उसकी ईमानदारी पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाता।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति हरिंडेर सिंह संधू की पीठ ने खाद्य और आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के विभाग में काम करने वाले एक याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करते हुए यह बात कही।
याचिकाकर्ता को विभागीय पदोन्नति समिति के सुझाव पर 21-12-2012 को सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी में पदोन्नति दी गई। इस समिति का गठन चंडीगढ़ प्रशासन ने किया था। हालाँकि, उसका एक साल का प्रोबेशन 20.12.2013 को समाप्त हो गया, लेकिन 19.02.2014 को जारी एक सूचना द्वारा इस अवधि को छह माह के लिए और बढ़ा दिया गया।
इसके बाद याचिकाकर्ता को 14.03.2014 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। उसने इसका जवाब दिया और इसके बाद उसे 24.03.2014 को नोटिस जारी कर दुबारा खाद्य और आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर ग्रेड -1 के रूप में उसकी नियुक्ति कर दी गई।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने का कारण यह है कि वह राष्ट्रीय लोक कल्याण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंभू बनर्जी के सम्पर्क में बना हुआ था और इस पार्टी ने विभाग के ख़िलाफ़ कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे। और यह भी कहा गया कि वह आरटीआई द्वारा विभाग से कुछ सूचना प्राप्त कर रहा है और इस वजह से उसकी ईमानदारी पर शक किया गया।
कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता कोई अनुचित कार्य कर रहा था तो उसके ख़िलाफ़ नियमित जाँच कराई जा सकती थी। करत ने कहा कि याचिकाकर्ता को सूचना के अधिकार के तहत सूचना प्राप्त करने का अधिकार है। अगर उसने ऐसा किया है तो इससे उसकी ईमानदारी पर प्रश्न चिह्न नहीं लग जाता। कोर्ट ने कहा की केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने इस बात को नज़रअन्दाज़ किया है और अपीली अदालत ने भी ऐसा ही किया है। पीठ ने उसको दुबारा पिछली नियुक्ति में भेजने के आदेश को उलट दिया और चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता को खाद्य और आपूर्ति विभाग के सहायक अधिकारी के रूप में कार्या करने दे। कोर्ट ने कहा की यह आदेश 21.12.2012 से लागू होगा और उसे इस पद से जुड़े सभी लाभ दिए जाएँगे।