जाकिर नाइक ने सुप्रीम कोर्ट से Hate Speech के खिलाफ दर्ज FIR को एक साथ जोड़ने की मांग वाली याचिका वापस ली

Update: 2024-10-25 03:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (23 अक्टूबर) को इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को महाराष्ट्र और कर्नाटक में उनके खिलाफ दर्ज कई FIR को एकसाथ जोड़ने की मांग वाली याचिका वापस लेने की अनुमति दी। इसमें आईपीसी की धारा 153ए के तहत नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए दर्ज FIR को एकसाथ जोड़ने की मांग की गई थी।

जस्टिस अभय ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने नाइक की ओर से सीनियर एडवोकेट आदित्य सोंधी द्वारा संबंधित हाईकोर्ट में जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति मांगे जाने के बाद 2013 की याचिका खारिज की।

न्यायालय ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर ए़डवोकेट उचित राहत के लिए उचित हाईकोर्ट के समक्ष उचित कार्यवाही दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं। तदनुसार रिट याचिका वापस ली गई और मांगी गई स्वतंत्रता के साथ इसका निपटारा किया जाता है।

पिछले सप्ताह सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका की स्वीकार्यता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि नाइक, जिसे न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत उपाय का लाभ नहीं उठा सकता।

पीठ ने राज्य को सुनवाई योग्यता पर आपत्ति उठाते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी।

उस दिन नाइक के लिए वकील ने बताया कि यदि न्यायालय ने स्वतंत्रता दी तो नाइक सुप्रीम कोर्ट को परेशान करने के बजाय संबंधित हाईकोर्ट से मामला रद्द करने के लिए संपर्क कर सकता है, क्योंकि छह FIR लंबित हैं - महाराष्ट्र में चार और कर्नाटक में दो।

जाकिर नाइक कई वर्षों से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में है। वह विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए आईपीसी की धारा 153ए और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 10, 13 और 18 के तहत आरोपों का सामना कर रहा है।

मुंबई की विशेष NIA अदालत ने 2017 में नाइक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। नाइक अदालत के समक्ष पेश होने में विफल रहा है और कथित तौर पर मलेशिया में रह रहा है।

2022 में केंद्र सरकार ने नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) को UAPA के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया।

जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय न्यायाधिकरण ने मार्च 2022 में प्रतिबंध की पुष्टि की, जिसमें कहा गया कि IRF की गतिविधियां भारत की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा के लिए हानिकारक थीं।

केस टाइटल- जाकिर अब्दुल करीम नाइक बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।

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