''आपके प्रति हमारी सहानुभूति है, लेकिन हम पैसा एकट्ठा करने और बांटने का काम खुद नहीं कर सकते ': सुप्रीम कोर्ट ने पोंजी स्कीम पीड़ितों की सुनवाई में कहा

Update: 2020-11-18 13:45 GMT

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को फ्यूचर मेकर केयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित 2018 पोंजी स्कीम के पीड़ितों को राहत देने के लिए सुझाव मांगे हैं। इस योजना के तहत हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव,न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ द्वारा पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

न्यायमूर्ति राव ने कहा,

''हमारे पास आपके प्रति सहानुभूति है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय सही जगह नहीं है। ऐसे सैकड़ों लोग हैं,जिन्होंने हजारों व लाखों लोगों से धोखा किया है। इसलिए हम पैसा इकट्ठा करने और पैसे वितरित करने का काम खुद से नहीं कर सकते हैं।''

उन्होंने आगे कहा कि

"शारदा चिट फंड मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था क्योंकि विभिन्न राज्यों में कई याचिकाएं दायर की गई थी। वर्तमान मामले में, सभी याचिकाओं को एक स्थान पर स्थानांतरित करना एक विचार हो सकता है, लेकिन इस तरह का स्थानांतरण सर्वोच्च न्यायालय या किसी एक हाईकोर्ट में करने से आपकी मदद नहीं हो पाएगी।

आपकी चिंता पैसा है- उसे कैसे एकत्र किया जाना है? संपत्ति की बिक्री से? यह कैसे वितरित किया जाना है? हम इसे खुद से नहीं कर सकते हैं।''

जस्टिस राव ने कहा, ''

सहारा मामले में भी, सेबी को कंपनी द्वारा की गई धोखाधड़ी, काल्पनिक निवेशकों के मुद्दे पर गौर करने के लिए कहा गया था। उसे पैसा इकट्ठा करने और पैसे वितरित करने के लिए नहीं कहा गया था ...''

पीठ के सदस्यों के साथ एक आपसी-विचार विमर्श करने के बाद, न्यायमूर्ति राव ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, ''आपके प्रति हमारी सहानुभूति है, लेकिन हमें बताएं कि आपको कैसे राहत दी जाए। हमें सुझाव दें ... अन्यथा, हम सहायता नहीं कर सकते।''

मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी गई है ताकि याचिकाकर्ताओं को सुझावों तैयार करने के लिए समय मिल सकें।

तेलंगाना पुलिस ने कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ मार्च, 2019 में कई प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में कंपनी ने झूठी स्कीम का झांसा देकर लोगों को चूना लगाया था। लोगों को 20,000 रुपये से लेकर 10,00,000 प्रति माह की आय अर्जित करने का अवसर देने का झूठा वादा किया गया था और पोंजी पिरामिड स्कीम का सदस्य बनने के लिए "निर्दोष जनता को आमंत्रित'' किया गया था। इस योजना के तहत सूट लैंथ और खाद्य उत्पादों जैसे बेकार उत्पादों की प्रत्यक्ष तौर पर बहु-स्तरीय मार्केटिंग करने का झांसा दिया गया था।

पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जांच से पता चला है कि पूरे भारत में फैले एजेंटों की एक श्रृंखला के माध्यम से इस योजना में सदस्यता के नाम पर ग्राहकों से पैसा जमा करवाया गया था। योजनाओं के माध्यम से जमा किए गए इस धन को अवैध रूप से निदेशकों, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य सहयोगियों के व्यक्तिगत खातों में डाइवर्ट कर दिया गया था।

दो निदेशकों द्वारा बनाई गई अन्य शेल कंपनियों में भी फंड डाइवर्ट किया गया था।

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