क्या ट्रिब्यूनल का मैंडेट धारा 29ए के तहत समाप्त हो जाएगा, जब तक कि उसे उसके अस्तित्व में रहते बढ़ाया न जाए? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कानून से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दे की जांच के लिए सहमत हो गया है। मुद्दा यह है कि क्या ट्रिब्यूनल का मैंडेट धारा 29 ए के तहत प्रदान की गई समयावधि की समाप्ति पर समाप्त हो जाता है, जब तक कि उसे उसके रहते ही बढ़ाया न गया हो।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी पर विचार कर रही थी। पीठ ने एसएलपी पर नोटिस जारी किया। आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थ का मैंडेट धारा 29 ए के तहत प्रदान की गई समयावधि की समाप्ति पर समाप्त हो जाता है जब तक कि उसे उसके अस्तित्व में रहते बढ़ाया नहीं जाता है।
हाईकोर्ट ने माना था कि धारा 29-ए(1) के संदर्भ में और उप-धारा (3) के तहत, दलीलें पूरी होने की तारीख से 12 महीने की अवधि के भीतर मध्यस्थ न्यायाधिकरण एक अवॉर्ड देगा। पार्टियां सहमति से अवधि को 6 महीने और बढ़ा सकती हैं। यह माना गया कि धारा 29(ए)(4) के संदर्भ में, यदि ट्रिब्यूनल निर्दिष्ट समयावधि के भीतर अवार्ड देने में विफल रहता है तो उसका मैंडैट समाप्त हो जाता है और समय के विस्तार की मांग करने वाला कोई भी आवेदन केवल उस अवधि के दौरान ही किया जाना चाहिए, न कि उसके बाद।
हाईकोर्ट ने माना था कि निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर मैंडेट समाप्त हो जाता है और बाद में आवेदन करके इसे पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है। यह माना गया कि आवेदन करते समय मैंडेट जारी रहना चाहिए।
यह माना गया कि किसी पक्ष को धारा 29-ए के तहत मैंडेट समाप्त होने के बाद किसी भी समय मध्यस्थ के मैंडेट को बढ़ाने के लिए उपधारा (4) के तहत आवेदन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, और यदि न्यायालय खुद को उक्त मैंडेट को बढ़ाने की शक्ति प्रदान करता है तो "यह धारा 29-ए के तहत परिकल्पित अवार्ड देने की सीमाओं का उल्लंघन होगा।"
याचिकाकर्ता के वकील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया और पक्षों को लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने मामले को सुनवाई की अगली तारीख पर अंतिम बहस और निपटान के लिए सूचीबद्ध किया।
केस टाइटल: रोहन बिल्डर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड बनाम बर्जर पेंट्स इंडिया लिमिटेड, एसएलपी (सी) नंबर 23320/2023