"हमें कश्मीर के युवाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जम्मू-कश्मीर की एक लड़की डॉक्टर बनेगी": सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस कोर्स के लिए लोन देने के एचसी के निर्देश की पुष्टि की
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कश्मीर के युवाओं को शिक्षित करके उन्हें बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर द्वारा एक लड़की को मेडिकल की पढ़ाई के लिए वित्तीय सहायता (लोन) देने के हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ दायर एक याचिका खारिज कर दी।
20 अप्रैल, 2021 को जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने जम्मू और कश्मीर महिला विकास निगम को एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम द्वारा शुरू की गई योजना के तहत बांग्लादेश में एक कॉलेज मेडिकल कोर्स में पढ़ रही एक लड़की को वित्तीय सहायता की दूसरी किस्त जारी करने का निर्देश दिया था।
कम्युनिटी बेस्ड मेडिकल कॉलेज, बांग्लादेश में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेने के बाद दिसंबर 2018 में लड़की को 30 लाख रुपये का कर्ज निगम ने मंजूर किया था। हालांकि, लड़की ने यह दावा करते हुए एक अलग कॉलेज-ख्वाजा यूनुस अली मेडिकल कॉलेज, बांग्लादेश में प्रवेश लिया कि पहले कॉलेज में प्रवेश की अंतिम तिथि से पहले निगम द्वारा पहली किस्त समय पर जारी नहीं की गई।
इस तथ्य का हवाला देते हुए कि उसने कॉलेज बदल दिया, निगम ने लड़की की पढ़ाई के लिए दूसरी किस्त जारी करने से इनकार कर दिया। इस पृष्ठभूमि में लड़की ने राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
एकल पीठ ने हालांकि यह कहते हुए रिट याचिका खारिज कर दी कि यह एक संविदात्मक मामला है। इसके बाद खंडपीठ ने निगम को दूसरी किस्त जारी करने का निर्देश देकर उसकी प्रार्थना की अनुमति दी। यूटी/ निगम ने इस निर्देश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट में जब यह मामला आया तो पीठ के पीठासीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शुरुआत में टिप्पणी की,
"इस गरीब लड़की को बांग्लादेश के एक सामुदायिक कॉलेज में प्रवेश मिला है। उसने आपको सूचित किया होगा कि वह अपनी संस्था बदल रही है। जम्मू और कश्मीर की एक लड़की डॉक्टर बन जाएगी"।
यूटी के लिए एडवोकेट तरुना ए प्रसाद ने प्रस्तुत किया "उसे छठा गारंटर नहीं मिल सका।"
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा,
"वह एक गरीब लड़की है और बांग्लादेश में एमबीबीएस में अपना दूसरा वर्ष कर रही है। उसकी ओर से शिथिलता है, वह एक युवा है। कई युवा गलतियां करते हैं। क्या हमने युवावस्था में गलतियां नहीं की?" .
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,
"हमें कश्मीर के युवाओं को शिक्षित करके उन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है और हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करने से यह नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा। हमारा हस्तक्षेप इसके विपरीत काम करेगा।"
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,
"आप अपनी गलती पर इस लड़की के करियर को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। उसे पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज ने पैसे का भुगतान न करने के कारण उसका प्रवेश रद्द कर दिया।"
पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा:
"याचिका स्वीकार करने का परिणाम यह होगा कि एक युवती जो बांग्लादेश में अपनी पढ़ाई कर रही है, उसे उसके लोन संसाधनों से वंचित कर दिया जाएगा। हमारा विचार है कि अनुच्छेद 136 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने का परिणाम छात्रा के करियर को अव्यवस्थित करना होगा।"
केस शीर्षक : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर बनाम मुबाशीर अशरफ भट |
एसएलपी (सी) नंबर 4917/2022