हमें बार को यह संदेश देना चाहिए कि अकारण मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा, "हमें बार को यह संदेश देना चाहिए कि हम बगैर किसी कारण मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं करेंगे।"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बेंच में शामिल न्यायमूर्ति एम आर शाह की मौजूदगी में यह टिप्पणी उस वक्त की जब सिविल मामले की एक 'आफ्टर नोटिस' विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) सुनवाई के लिए खंडपीठ के पास आयी और याचिकाकर्ता कंपनी के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) ने सुनवाई स्थगित करने का उनसे अनुरोध किया। इस मामले में 2017 में ही नोटिस जारी किया जा चुका था।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की,
"मैं (केस) पढ़कर आया हूं। मेरे विद्वान साथी भी (केस) पढ़कर आये हैं। चूंकि इसकी सुनवाई आज होने जा रही थी, मैंने आज सुबह तड़के इसे पढ़ा।"
याचिकाकर्ता के एओआर ने अनुरोध किया कि उसे एसएलपी की प्रति तक नहीं है, इसलिए मामले की सुनवाई एक दिन और स्थगित कर दी जाये।
न्यायमूर्ति शाह ने एओआर को फटकार लगाते हुए कहा,
"आपने वकालतनामा फाइल किया है। यह आपकी समस्या है।"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की,
"(मामले में) नोटिस 2017 में जारी किया गया। कृपया (प्रतिवादी के वकील से) याचिका की एक कॉपी लीजिए और अपनी जिरह शुरू कीजिए, अन्यथा बेहतर नहीं होगा, हम अभियोजन के अभाव में मामले को खारिज कर देंगे।"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आगे कहा,
"हमें बार को यह संदेश देना चाहिए कि हम बिना किसी कारण मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं करेंगे। यह हमारे लिए उचित नहीं है। यदि हमने मामले को (कॉज लिस्ट में) शामिल किया है तो इसकी सुनवाई होनी चाहिए। ऐसा कई बार होता है कि कोई मामला सुनवाई के लिए पहुंचता ही नहीं है। देखिए, हम मामले को स्थगित करने या न करने पर विचार करने में यह समय खर्च कर रहे हैं।"
अचानक, प्रतिवादियों की ओर से पेश हो रहे वकील ने भी यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने की मांग की कि हाल ही में उनकी सर्जरी हुई है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा,
"हम राक्षस नहीं हैं। आपकी सर्जरी हुई है। आप आराम कीजिए। हम उन्हें (याचिकाकर्ता के वकील को) सुनेंगे।"
बेंच ने संबंधित वकील को जिरह की तैयारी करने को कहा ताकि अन्य मामलों की सुनवाई समाप्त होने के तत्काल बाद वह बेंच के समक्ष बहस कर सकें।
पिछले माह भी इसी बेंच ने कहा था कि महज किसी पार्टी द्वारा एक पत्र सर्कुलेट कर देना इस बात की गारंटी नहीं है कि सुनवाई स्थगित कर ही दी जायेगी।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की थी,
"हम मामलों का सारांश पढ़ने में समय व्यतीत करते हैं और सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई न करने के लिए कोई कारण दे दिया जाता है।"
न्यायमूर्ति शाह ने कहा था,
"यदि मामला आता है, तो इसे सुना जायेगा। यदि हम स्थगित नहीं करने का फैसला करते हैं, तो ऑल द बेस्ट।"