Waqf Act | क्या संपत्तियों को वक्फ के रूप में अधिसूचित करने से पहले धारा 4 के तहत प्रारंभिक सर्वेक्षण आवश्यक है?: सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर विचार करने का निर्णय लिया कि क्या किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने के लिए उक्त अधिनियम की धारा 5 के तहत राजपत्र अधिसूचना जारी करने से पहले वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 4 के अनुसार वक्फ संपत्तियों का प्रारंभिक सर्वेक्षण करना आवश्यक है।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ इस मामले पर विचार कर रही है। यह मुद्दा कर्नाटक वक्फ राज्य बोर्ड की कुछ वक्फ संपत्तियों से संबंधित विशेष अनुमति याचिका में उठा था, जिसमें आरोप लगाया गया कि 1995 के अधिनियम की धारा 4 के तहत अपेक्षित प्रारंभिक सर्वेक्षण नहीं किया गया।
वक्फ न्यायाधिकरण ने इस मुद्दे पर विचार नहीं किया। हालांकि वादी ने एक विशिष्ट दलील दी थी कि संपत्ति को वक्फ के रूप में अधिसूचित करने से पहले कोई प्रारंभिक सर्वेक्षण नहीं किया गया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने न्यायाधिकरण का फैसला यह कहते हुए खारिज कर दिया कि धारा 5 के तहत अधिसूचना अधिनियम की धारा 4 के अनुपालन में जारी की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा था,
"अजीब बात है कि प्रतिवादियों ने इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। इसलिए न्यायाधिकरण का यह निष्कर्ष कि राजपत्र जारी करना ही वक्फ के अस्तित्व का निर्णायक प्रमाण है, भी कानून के विरुद्ध होगा।"
इस निर्णय के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका दायर की गई।
वर्तमान खंडपीठ ने सलेम मुस्लिम कब्रिस्तान संरक्षण समिति बनाम तमिलनाडु राज्य एवं अन्य (2023) के उदाहरण का भी संज्ञान लिया, जिसमें यह माना गया कि किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले वक्फ अधिनियम, 1954 की धारा 4 के तहत सर्वेक्षण कराना अनिवार्य है। उस मामले में यह देखा गया कि यह दर्शाने वाले किसी भी साक्ष्य या सामग्री के अभाव में कि अधिसूचना जारी करने से पहले सर्वेक्षण कराया गया, वह वादग्रस्त भूमि के संबंध में वैध वक्फ नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट यह भी विचार करेगा कि धारा 4 के अनुपालन के अभाव में अधिनियम की धारा 6 का प्रावधान लागू होगा या नहीं। धारा 6 के प्रावधान के अनुसार, औकाफ़ की सूची के प्रकाशन की तिथि से एक वर्ष की समाप्ति के बाद न्यायाधिकरण द्वारा कोई भी वाद स्वीकार नहीं किया जाएगा। औकाफ़ की सूची धारा 4 के सर्वेक्षण के अनुसार रखी जाती है।
इस मामले की सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। तब तक सभी पक्षों से इन मुद्दों पर विचार करने और अतिरिक्त सामग्री प्रस्तुत करने को कहा गया, जिससे यह पता चले कि धारा 4 का अनुपालन हुआ है या नहीं। यह एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जानी चाहिए।
Case Details: SYED GOUSE ALIAS NAWAB PASHA KAZI v. KARNATAKA STATE BOARD OF WAKFS & ANR.|Petition for Special Leave to Appeal (C) No.14417/2025