UPSC Cheating Case : पूर्व IAS अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ जांच पूरी करें: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा में फर्जी ओबीसी और पीडब्ल्यूडी प्रमाण पत्र जमा करने की आरोपी पूर्व IAS प्रोबेशनरी अधिकारी पूजा खेडकर को दी गई अंतरिम सुरक्षा को बढ़ाते हुए कोर्ट ने मौखिक रूप से पूछा कि दिल्ली पुलिस जांच पूरी क्यों नहीं कर रही है, जबकि खेडकर ने खुद हलफनामे में कहा कि वह सहयोग करने को तैयार हैं।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ खेडकर द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जनवरी में कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।
दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को सूचित किया कि UPSC उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए फर्जी दस्तावेजों के "बड़े घोटाले" की जांच के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता है।
इस पर जस्टिस शर्मा ने सवाल किया कि सामान्य पूछताछ और हिरासत में लेकर पूछताछ में क्या अंतर होगा।
राजू ने यह भी कहा कि खेडकर को अपने ओबीसी कोटा, दिव्यांगता आदि के आधार पर परीक्षा में नौ बार बैठने का अधिकार था। हालांकि, उन्होंने दस्तावेजों में जालसाजी करके और नाम बदलकर और प्रयास किए, जो स्वीकार्य नहीं था। इसमें शामिल बिचौलियों के नाम जानने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है।
राजू ने कहा,
"हमने पाया कि यह एक घोटाला है, जिसमें प्रमाण पत्र देने आदि में शामिल लोग शामिल हो सकते हैं। हम जांच करना चाहते हैं कि क्या उनका मामला अलग-थलग है या ऐसे कई मामले हैं।"
इस पर जस्टिस शर्मा ने जवाब दिया:
"यदि मामले बड़ी संख्या में हैं तो आप जांच कर सकते हैं। वह प्रमाण पत्र जारी करने वाली सरगना नहीं है।"
जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा कि खेडकर को कथित रूप से जाली प्रमाण पत्र कहां से मिले, इसका खुलासा किया जाना चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है। जालसाजी के आरोपों का विरोध करते हुए खेडकर के वकील ने कहा कि उन्हें 2018 में ही कम दृष्टि दिव्यांगता का पता चला था और तब से उन्होंने तीन बार UPSC का प्रयास किया। इसलिए एक दिव्यांग उम्मीदवार के रूप में उनका प्रयास समाप्त नहीं हुआ।
वकील ने कहा,
"मैं 2012 से UPSC परीक्षा का प्रयास कर रहा था और 2018 में पहली बार मुझे 40% दिव्यांगता के लिए पात्र पाया गया, जो मुझे नौ प्रयासों का हकदार बनाता है।"
हालांकि, अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि दिव्यांग या सक्षम व्यक्ति द्वारा प्रयासों की अलग-अलग संख्या नहीं हो सकती है।
जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस शर्मा दोनों ने एक स्वर में कहा:
"नहीं, नहीं, प्रयासों की कुल संख्या [वही होनी चाहिए]। आप सक्षम और दिव्यांग के लिए अलग-अलग प्रयास नहीं कर सकते।"
जस्टिस शर्मा ने कहा,
"आपको अपने प्रयासों को उचित ठहराना होगा।"
जस्टिस नागरत्ना ने राजू से कहा,
"आपको इस जांच को दृढ़ता से ट्रैक करना चाहिए।"
न्यायालय इस मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को करेगा।
केस टाइटल: पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर बनाम दिल्ली राज्य | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 357/2025