रजिस्टर्ड सेल डीड को एकतरफा रद्द करना अग्रिम जमानत की शर्त नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (17 सितंबर, 2021) को कहा कि हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के कथित अनुपालन में एक पंजीकृत बिक्री विलेख को एक पक्ष द्वारा एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह उन खरीदारों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जो हाईकोर्ट के समक्ष पक्षकार नहीं हैं।
वर्तमान मामले में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा 8 जून, 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली उस विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देते हुए अभियुक्त को निर्देश दिया था कि वह रजिस्टर्ड सेल डीड को निरस्त करे और शिकायतकर्ता से प्राप्त राशि उसे लौटाए।
हाईकोर्ट की ओर से लगायी गयी शर्त में कहा गया था,
"याचिकाकर्ता/अभियुक्त जांच में सहयोग करेगा और जांच अधिकारियों के समक्ष सभी पंजीकृत दस्तावेज प्रस्तुत करेगा और वह आज से दो महीने के भीतर विक्रेताओं के पक्ष में निष्पादित पंजीकृत बिक्री विलेख को रद्द करने और इसी अवधि के भीतर पंजीकृत बिक्री विलेख के माध्यम से प्राप्त राशि को लौटाएगा। ऐसा नहीं करने पर याचिकाकर्ता को दी गई स्वतंत्रता स्वतः रद्द हो जाएगी और उसे तुरंत हिरासत में ले लिया जाएगा।"
उक्त शर्त से क्षुब्ध होकर आरोपी ने शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
यह कहते हुए कि यदि उक्त शर्त को आक्षेपित आदेश से हटा दिया जाता है तभी न्याय होगा, पीठ ने आदेश को संशोधित करते हुए कहा,
"हमारा, प्रथम दृष्टया, सुविचारित मत है कि हाईकोर्ट को याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देते समय उक्त शर्त संख्या (iii) नहीं लगानी चाहिए थी, क्योंकि यह पंजीकृत दस्तावेज के पक्षकारों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के समान होगा, जिन पर केवल एक सिविल कोर्ट द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।"
पीठ ने एसएलपी का निपटारा करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि अग्रिम जमानत के संबंध में शेष शर्तें बरकरार रहेंगी।
केस शीर्षक: सैयद अफसर पाशा क़ादरी बनाम तेलंगाना सरकार
साइटेशन : एलएल 2021 एससी 474
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