'रेत माफिया' पर रिपोर्ट को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा पिटाई के खिलाफ दो पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

Update: 2025-06-02 07:58 GMT

'रेत माफिया' पर रिपोर्ट को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस अधिकारियों द्वारा कथित पिटाई के खिलाफ दो पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

बता दें कि इस साल मई में मध्य प्रदेश के भिंड के कुछ पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के अंदर उनके साथ मारपीट की गई।

इस मामले का उल्लेख जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष किया गया, जिसने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।

इस मामले का उल्लेख करने वाले वकील ने प्रस्तुत किया कि कथित घटना मई में हुई थी और याचिकाकर्ता झूठे और मनगढ़ंत मामलों में गिरफ्तारी की आशंका जता रहे हैं।

उन्होंने कहा,

"यह बहुत गंभीर है। उन्हें एक पुलिस स्टेशन में पीटा गया। वे अब शरण लेने के लिए दिल्ली भाग गए हैं। उन्हें झूठे और मनगढ़ंत मामलों [भिंड पुलिस द्वारा] में गिरफ्तारी की आशंका है।"

जवाब में खंडपीठ ने सवाल किया कि याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। वित्तीय बाधाओं को रेखांकित करते हुए वकील ने जवाब दिया कि उनके जीवन को खतरे में पड़ने के बाद याचिकाकर्ता शरण लेने के लिए दिल्ली आए और सुरक्षा प्राप्त की।

उन्होंने कहा,

"यह वास्तव में उन मामलों में से एक है...उनके पास साधन नहीं हैं..."

जस्टिस शर्मा ने सवाल किया,

"हमें केवल इसलिए अग्रिम जमानत के लिए अखिल भारतीय मामलों पर विचार करना चाहिए, क्योंकि वहां एक पत्रकार है?"

हालांकि, वकील ने जोर देकर कहा,

"वास्तव में उनकी जान खतरे में है।"

उन्होंने कहा कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने घटना की निंदा की है।

अंततः, खंडपीठ ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।

जस्टिस शर्मा ने अंत में वकील से कहा,

"आप जोखिम उठा रहे हैं"।

इसी तरह, जस्टिस करोल ने कहा,

"हम आपको बता रहे हैं, अगर यह इस पीठ के समक्ष आता है तो आप निष्कर्ष जानते हैं।"

वकील ने जवाब दिया कि वह वैसे भी अपनी पूरी क्षमता से न्यायालय को मनाने की कोशिश करेंगी।

Tags:    

Similar News