'सच्चाई सामने आनी चाहिए', 'दुर्घटना का एक साधारण मामला नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने मंगलुरु में केरल के मेडिकल छात्र की मौत की सीबीआई जांच का आदेश दिया

Update: 2022-11-06 09:18 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मंगलुरु में एक मेडिकल छात्र की मौत की जांच करने का निर्देश दिया।

केरल के रहने वाले रोहित राधाकृष्णन मैंगलोर में एजे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के छात्र थे। 23 मार्च 2014 को तन्निर्भवी के पास उनका सिर विहीन शरीर मिला था। इसके बाद की जांच में निष्कर्ष निकाला गया कि मौत एक दुर्घटना के कारण हुई थी। आश्चर्यजनक रूप से, मृतक के खिलाफ तेज गति से गाड़ी चलाने और लापरवाही के कारण मौत का के लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 के साथ धारा 279, 304 ए आईपीसी के तहत एक आरोप पत्र भी दायर किया गया। इस प्रकार उनके पिता ने इस मामले में सीबीआई द्वारा जांच के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

रिट याचिका और अन्य सामग्री के साथ पेश की गई तस्वीरों का जिक्र करते हुए अदालत ने प्रथम दृष्टया कहा कि यह साधारण दुर्घटना का मामला नहीं है जैसा कि जांच एजेंसी ने कहा है।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा,

"यह अनसुना है कि मृतक के खिलाफ एक आरोप पत्र दायर किया जा सकता है, जिसकी कथित तौर पर हत्या की गई है ... हम जांच एजेंसी-सीआईडी, बेंगलुरु द्वारा की गई आगे की जांच से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। जांच एजेंसी द्वारा गहन और उचित जांच के बाद सच्चाई सामने आनी चाहिए।"

अदालत ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने का निर्देश देते हुए कहा कि जांच एजेंसी-सीआईडी, बेंगलुरु मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही है। अदालत ने मृतक के खिलाफ दायर आरोप पत्र को भी खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा कि सीबीआई से जल्द से जल्द जांच समाप्त करने की उम्मीद है, इस तथ्य को देखते हुए कि घटना 2014 की है और मृतक के याचिकाकर्ता-पिता न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

अदालत ने सीबीआई को आगे की जांच पर हर दो महीने में हाईकोर्ट के समक्ष आवधिक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। इसने सीआईडी, बेंगलुरु को याचिकाकर्ता- एम एस राधाकृष्णन को 1,00,000/- रुपये की लागत का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।

केस डिटेलः

एम एस राधाकृष्णन बनाम कर्नाटक राज्य | 2022 लाइव लॉ (एससी) 918 | WP(Crl) 2022 का 347| 3 नवंबर 2022 | जस्टिस एमआर शाह और एमएम सुंदरेश 


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