अनुरोध पर सरकारी कर्मचारी के तबादले को जनहित या प्रशासनिक अनिवार्यता में तबादला नहीं कहा जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी कर्मचारी का तबादला जनहित में है तो यह सेवा का एक हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ही यह तय करने के लिए सबसे सही जज है कि किसी कर्मचारी की सेवाओं का उपयोग कैसे किया जाए। इसके अलावा, अगर कोई कर्मचारी अनुरोध करता है तो सरकार उस कर्मचारी को अनुरोध के अनुसार तैनात कर सकती है। हालांकि, ऐसा तबादला जनहित में नहीं होगा, क्योंकि यह कर्मचारी के अनुरोध पर आधारित है न कि प्रशासनिक अनिवार्यता पर।
जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा,
“इस बात पर विवाद नहीं किया जा सकता कि सरकार ही यह तय करने के लिए सबसे सही जज है कि किसी कर्मचारी की सेवाओं का वितरण और उपयोग कैसे किया जाए। साथ ही अगर कोई कर्मचारी किसी कठिनाई के कारण अनुरोध करता है और अगर प्राधिकारी या सरकार संतुष्ट है तो वह ऐसे कर्मचारी को अनुरोध के अनुसार तैनात कर सकती है, लेकिन ऐसे तबादले को जनहित में तबादला नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह कर्मचारी के अनुरोध पर है न कि लोक प्रशासन की अनिवार्यता पर।”
न्यायालय ने केरल सरकार की सेवा में कुछ कर्मचारियों के वरिष्ठता दावे पर निर्णय लेते हुए ये टिप्पणियां कीं। न्यायालय ने माना कि केरल राज्य और अधीनस्थ सेवा नियमों के अनुसार, एक कर्मचारी जिसे दूसरे विभाग में आमेलन के माध्यम से स्थानांतरित किया गया, वह अपनी मौजूदा वरिष्ठता को बनाए रखने का हकदार था।
केस टाइटल: गीता वी एम और अन्य बनाम रेथनासेनन के. और अन्य, सिविल अपील नंबर 3994-3997 वर्ष 2024