आपराधिक मामले में पहली अपील की सुनवाई कर रहे कोर्ट को खुद की राय बनाने की जरूरत होती है, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

Update: 2020-10-22 04:00 GMT

Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि आपराधिक मामलों में पहली अपील की सुनवाई कर रहे कोर्ट को रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य और ट्रायल कोर्ट की राय के आधार पर खुद की राय बनाने की आवश्यकता होती है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए महसूस किया कि ट्रायल कोर्ट के दोषसिद्धि के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करने का हाईकोर्ट का आदेश केवल साक्ष्यों का प्रस्तुतीकरण है, जिसमें हाईकोर्ट ने अपील में दोषसिद्धि के पुष्टीकरण के उद्देश्य से उन साक्ष्यों का मूल्यांकन नहीं किया। खंडपीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय भी शामिल थे।

बेंच ने कहा,

"हम कहना चाहेंगे कि आपराधिक मामलों में पहली अपील की सुनवाई करते हुए रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्यों और ट्रायल कोर्ट की राय के आधार पर (अपीलीय कोर्ट को) खुद की राय बनाने की आवश्यकता होती है।"

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में, हाईकोर्ट ने तथ्यों तथा गवाहों के बयान का वर्णन किया था तथा उसके बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी को दोषी साबित करने में सफलता हासिल की थी।

कोर्ट ने हालांकि अपील स्वीकार करते हुए कहा,

"हमारा मानना है कि यह आपराधिक मामलों में पहली अपील पर विचार करने के लिए कानून की जरूरतों को शायद ही पूरी करता है और इस प्रकार उसके पास हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करने और भारतीय दंड संहिता की धारा 302 से जुड़े मामले में कानून के दायरे में पहली अपील पर गुण दोष अर्थात मेरिट के आधार पर विचार के लिए हाईकोर्ट के पास फिर से वापस भेजने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।"

अभियुक्त के पिछले साढे आठ साल से वास्तविक हिरासत में रहने के तथ्या का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट की शर्तों के अनुसार जमानत पर रिहा करने का आदेश भी जारी किया।

केस का नाम : चंद्रभान सिंह बनाम राजस्थान सरकार

केस का नं. : विशेष अनुमति याचिका (क्रिमिनल) नंबर 4525 / 2020

कोरम : न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय

वकील : एडवोकेट शिखिल सूरी, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) शिव कुमार सूरी (याचिकाकर्ता के लिए), एओआर शरद कुमार सिंघानिया, एडवोकेट पंकज सिंघल (प्रतिवादी के लिए)

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