NGT अपनी राय समितियों को आउटसोर्स नहीं कर सकता और न ही ऐसी राय के आधार पर अपना निर्णय दे सकता है: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-12-04 07:05 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की आलोचना की कि उसने अपनी राय एक समिति को 'आउटसोर्स' कर दी है और अपनी राय केवल समिति के निष्कर्षों के आधार पर ही दी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा,

"NGT, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 के तहत गठित ट्रिब्यूनल है। ट्रिब्यूनल को अपने समक्ष मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर पूरी तरह से विचार करके अपना निर्णय लेना होता है। वह किसी राय को आउटसोर्स नहीं कर सकता और न ही ऐसी राय के आधार पर अपना निर्णय दे सकता है।"

इस संबंध में खंडपीठ ने कंथा विभाग युवा कोली समाज परिवर्तन ट्रस्ट और अन्य बनाम गुजरात राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के 2022 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि NGT के न्यायिक कार्यों को विशेषज्ञ समितियों को नहीं सौंपा जा सकता।

इस मामले में NGT ने संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर मेसर्स ग्रासिम इंडस्ट्रीज पर जुर्माना लगाया। हालांकि, कंपनी को न तो मामले में पक्षकार बनाया गया और न ही आदेश पारित करने से पहले कोई नोटिस जारी किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

"NGT द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से एक व्यक्ति को बिना सुने दोषी ठहराने जैसा है।"

NGT के आदेश को दरकिनार करते हुए कोर्ट ने मामले को नए सिरे से विचार के लिए ट्रिब्यूनल को भेज दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी प्रतिकूल आदेश पारित करने से पहले कंपनी को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।

केस टाइटल: मेसर्स ग्रासिम इंडस्ट्रीज बनाम मध्य प्रदेश राज्य

Tags:    

Similar News