सोशल मीडिया मॉनीटरिंग एजेंसी के लिए टेंडर वापस लिया गया : UIDAI ने महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को बताया

Update: 2019-12-17 14:07 GMT

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने विवादास्पद 'सोशल मीडिया निगरानी एजेंसी' के लिए बोलियां आमंत्रित करने के लिए निविदा वापस ले ली है। प्राधिकरण ने आगे कहा कि यह भविष्य में इस तरह की निविदा जारी नहीं करेगा।

यह बात तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर याचिका में कही गई जिन्होंने UIDAI के फैसले को डिजिटल निजता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में चुनौती दी थी।

दरअसल UIDAI ने पिछले साल जुलाई में एक ऐसी एजेंसी के लिए बोली आमंत्रित करने के लिए निविदा जारी की थी जिसमें "ऑनलाइन बातचीत को ट्रैक और मॉनिटर करने" की तकनीकी क्षमता हो, "इस तरह की सभी बातचीत का एक भावुक विश्लेषण कर और भावनाओं में किसी भी विसंगति को चिह्नित करें" और नकारात्मक भाव को बाहर निकालकर बेअसर करे।

UIDAI ने दावा किया था कि इस सोशल मीडिया मॉनिटरिंग एजेंसी का इस्तेमाल केवल आधार से जुड़ी जनभावनाओं को समझने और आधार परियोजना से जुड़ी गलत धारणाओं और गलतफहमियों को दूर करने के लिए किया जाएगा।

याचिका में मोइत्रा ने कहा कि UIDAI की परियोजना एक अन्य नाम से सिर्फ एक और सोशल मीडिया निगरानी केंद्र थी, जिसके लिए निविदा सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा मंगाई गई थी और बाद में दायर जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दिए जाने पर वापस ले ली गई थी।

वर्तमान मामले में कई सुनवाई होने के बाद UIDAI ने आज न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ के समक्ष कहा कि ये निविदा समाप्त हो गई है और UIDAI की निविदा को पुनर्जीवित करने या समान निविदा जारी करने की कोई योजना नहीं है। निजाम पाशा और रंजीता रोहतगी के साथ उपस्थित वरिष्ठ वकील

डॉ अभिषेक सिंघवी ने पीठ से अनुरोध किया कि UIDAI द्वारा दिए गए बयानों को आदेश में दर्ज किया जाए और बयान के संदर्भ में जनहित याचिका का निपटारा किया जाए।

यह दूसरी बार है जब केंद्र सरकार ने कृष्णानगर की सांसद द्वारा दायर जनहित याचिका पर सोशल मीडिया निगरानी की अपनी योजनाओं को वापस लिया है। 

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