सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं को हाईकोर्ट से अपने पास स्थानांतरित किया

Update: 2022-01-08 06:41 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 ("एनएमसीए") की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं को गुवाहाटी, मेघालय और दिल्ली हाईकोर्ट से अपने पास स्थानांतरित करने की अनुमति दी।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ इसी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। COVID-19 मामलों में वृद्धि, सुप्रीम कोर्ट के सीमित कामकाज और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए बेंच ने यूनियन ऑफ इंडिया को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार (4) सप्ताह का समय दिया और उसके बाद दो सप्ताह (2) का समय रिज्वाइंडर दाखिल करने के लिए दिया। रजिस्ट्री को मामले को सात सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।

स्थानांतरण याचिका के संबंध में मेहता ने कोर्ट को बताया कि यूनियन ऑफ इंडिया विभिन्न हाईकोर्ट के समक्ष लंबित एनएमसीए की संवैधानिक वैधता के ‌खिलाफ दायर याचिकाओं के हस्तांतरण की याचिका का विरोध नहीं कर रहा था। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता, सीएस वैद्यनाथन ने अदालत को सूचित किया कि इसी तरह की याचिकाएँ तीन अदालतों, गुवाहाटी, मेघालय और दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष लंबित थीं।

वैद्यनाथन ने न्यायालय को अवगत कराया कि राहतें समान हैं और उन्होंने न्यायालय की सुविधा के लिए राहतों को अलग से निर्धारित किया था।

बेंच ने आगे पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता ने अलग-अलग जगहों पर याचिका दायर की है? जिसके जवाब में वैद्यनाथन ने बताया था कि एक याचिका अश्विनी उपाध्याय ने दायर की और अन्य दो डेलिना खोंगडुप और पंकज डेका ने दायर की है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने पर उक्त याचिकाकर्ताओं ने कोई विरोध पेश नहीं किया है।

बेंच ने पूछताछ की कि क्या अन्य याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व उसके सामने किया गया है। अश्विनी उपाध्याय ने पीठ को सूचित किया कि पहले के मौकों पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने पंकज डेका का प्रतिनिधित्व किया था और वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम लाल दास ने डेलिना का प्रतिनिधित्व किया था।

यह देखते हुए कि तीनों याचिकाएं एक ही मुद्दे से संबंधित हैं और यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा कोई विरोध नहीं किया गया है, बेंच ने याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने और उन्हें टैग करने का निर्णय लिया। बेंच ने आगे संकेत दिया कि COVID-19 की स्थिति के स्थिर होने के बाद मामले को लिया जाएगा।

[केस शीर्षक: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया WP(C) No. 836/2020 ; अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम ;यूनियन ऑफ इंडिया TP (C) No. 1211-1213/2020 ]


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