गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दोषियों की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 दिसंबर को सुनवाई करेगा

Update: 2022-12-03 11:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (2 दिसंबर) को 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में 15 दोषियों की जमानत याचिकाओं पर 15 दिसंबर को सुनवाई करने पर सहमत हो गया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने गुजरात राज्य से दोषियों की व्यक्तिगत भूमिकाओं को निर्दिष्ट करने के लिए कहा, जिसके आधार पर जमानत के लिए उनके आवेदन पर विचार किया जा सकता है।

पीठ ने यह भी कहा कि ये सभी 17-18 साल की सजा काट चुके हैं।

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुजरात राज्य की ओर से पेश होकर पीठ को बताया कि यह मामला दोषियों द्वारा "मात्र पथराव" नहीं है, क्योंकि उनके कृत्यों ने लोगों को जलती ट्रेन कोच से बचने से रोका गया था।

 दोषी फारुक की जमानत अर्जी पीठ के समक्ष शुक्रवार को सूचीबद्ध थी। फारूक के वकील ने कोर्ट की छुट्टियों से पहले सुनवाई का अनुरोध किया। 

अन्य दोषियों की ओर से पेश एक वकील ने पीठ से उनकी जमानत याचिकाओं पर भी विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि कुल मिलाकर 15 अपीलकर्ता हैं।

पीठ ने पूछा कि वे जमानत अर्जी क्यों नहीं दाखिल करते?

वकील ने जवाब दिया कि 2018 में दायर विशेष अनुमति याचिकाओं के साथ जमानत याचिकाएं पहले ही दायर की जा चुकी हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मुख्य अपीलों के साथ जमानत याचिकाओं पर सुनवाई का आदेश दिया गया।

एसजी ने कहा,

"अगर अपीलों को सुनवाई के लिए रखा जाता है तो सब कुछ सुलझाया जा सकता है। मुख्य अपीलों को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है।"

लेकिन पीठ ने कहा कि वह सबसे पहले 15 दिसंबर को जमानत याचिकाओं पर विचार करेगी।

सीजेआई ने कहा,

"आप क्या कर सकते हैं मिस्टर सॉलिसिटर कि अंततः आप हमें व्यक्तिगत भूमिकाएं बता सकते हैं। एक बार जब आप वह अभ्यास कर लेते हैं तो इससे हमें इस बात पर जोर देने की आवश्यकता नहीं होती है कि हर किसी को जमानत आवेदन दाखिल करना चाहिए। इसलिए एक बार जब आप उन्हें पहचान लेते हैं तो हम उन सभी मामलों को बोर्ड पर रख सकते हैं और कह सकते हैं कि इन व्यक्तियों को उनकी भूमिका के आधार पर जमानत पर रिहा किया जा सकता है, क्योंकि वे 17-18 साल से गुजरे हैं। यह भी उचित होगा।"

एसजी ऐसा करने के लिए सहमत हो गए।

13 मई, 2022 को अदालत ने दोषियों में से एक अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कंकत्तो @ जंबुरो को छह महीने की अंतरिम जमानत इस आधार पर दी कि उसकी पत्नी टर्मिनल कैंसर से पीड़ित है और उसकी बेटियां मानसिक रूप से बीमार हैं। 11 नवंबर, 2022 को कोर्ट ने उसकी जमानत 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी।

27 फरवरी, 2002 को जो अपराध हुआ, उसके परिणामस्वरूप साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच के अंदर आग लगने से 58 लोगों की मौत हो गई, जो अयोध्या से कारसेवकों को ले जा रही थी। गोधरा कांड ने गुजरात में सांप्रदायिक दंगों को जन्म दिया।

मार्च, 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 11 को मौत की सजा सुनाई गई और बाकी 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया। 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया और अन्य 20 को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।

केस टाइटल: अब्दुल रहमान धनटिया @ कंकत्तो @ जम्बुरो बनाम गुजरात राज्य आपराधिक अपील 517/2018, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला बनाम गुजरात राज्य आपराधिक अपील 522-526/2018।

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