सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम के पीड़ितों के लिए मुआवज़े का सुझाव दिया, केंद्र से स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करने को कहा

Update: 2025-12-16 15:13 GMT

"डिजिटल अरेस्ट" स्कैम पर लिए गए स्वतः संज्ञान मामले में केंद्र सरकार ने आज बताया कि वह पीड़ितों को मुआवज़ा दिलाने के मुद्दे पर स्टेकहोल्डर मीटिंग करेगी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच इस मुद्दे पर लिए गए स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

इस मामले में एमिक्स क्यूरी (न्याय मित्र) सीनियर एडवोकेट एनएस नप्पिनई ने UK के ऑथराइज्ड पुश पेमेंट स्कैम मॉडल की तर्ज पर पीड़ित मुआवज़ा योजना का सुझाव दिया, जो बैंकिंग चैनल के दखल से पीड़ितों को अनिवार्य रूप से पैसे वापस दिलाने की गारंटी देता है।

सीजेआई ने यह भी कहा कि जब ऐसे धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन होते हैं तो बैंकों को अलर्ट करने के लिए ऑटोमैटिक सिस्टम की ज़रूरत है।

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एजी आर वेंकटरमणी ने बताया कि CBI ने कुछ इनपुट दिए हैं और एमिक्स के सुझावों पर विचार करने के लिए एक इंटर-डिपार्टमेंटल मीटिंग का सुझाव दिया है।

इस पर विचार करते हुए बेंच ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:

"हमें इसमें कोई शक नहीं है कि सभी स्टेकहोल्डर्स, AG के मार्गदर्शन में अपनी तरफ से उचित फैसले लेंगे और इस कोर्ट को सूचित करेंगे। एमिक्स की सिफारिशों पर संबंधित विभाग भी विचार कर सकते हैं।"

इससे पहले, बेंच ने CBI को डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामलों की जांच करने का आदेश दिया था।

कोर्ट मुख्य रूप से डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर ध्यान दे रहा है। साइबर अपराध की अन्य श्रेणियों पर बाद में विचार किया जा सकता है, जो उनके प्रभाव और आगे के दखल की ज़रूरत पर निर्भर करेगा।

Case Title: In Re: Victims of Digital Arrest Related to Forged Documents, SMW (Crl.) 3/2025

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