सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्य छेड़छाड़ मामले में केरल के मंत्री एंटनी राजू के खिलाफ नई कार्यवाही पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल के परिवहन मंत्री एंटनी राजू के खिलाफ 1990 में जूनियर वकील के रूप में किए गए ड्रग्स मामले में सबूतों से कथित छेड़छाड़ के मामले में नई कार्यवाही पर रोक लगा दी।
न्यायालय ने केरल के परिवहन मंत्री एंटनी राजू के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दो विशेष अनुमति याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
10 मार्च, 2023 को केरल हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने तकनीकी कारण पर आपराधिक मामला रद्द कर दिया कि सीआरपीसी की धारा 195(1)(बी) के अनुसार, अदालती कार्यवाही में साक्ष्य गढ़ने से संबंधित मामले में पुलिस आरोपपत्र पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता है। साथ ही यह देखते हुए कि अपराध न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने वाला गंभीर प्रकृति का अपराध है, हाईकोर्ट ने न्यायालय की रजिस्ट्री को सीआरपीसी के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत शिकायत को आगे बढ़ाने के लिए उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
मंत्री के खिलाफ आपराधिक मामले को रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एमआर अजयन नामक तीसरे पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मंत्री राजू ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक और याचिका भी दायर की, जिसमें उनके खिलाफ नई कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दी गई।
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ के समक्ष दोनों याचिकाएं सूचीबद्ध की गईं।
राजू की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने विशेष अनुमति याचिका दायर करने में अजयन के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया और तर्क दिया कि केवल आरोपी, राज्य या वास्तविक शिकायतकर्ता ही अदालत का रुख कर सकता है। उन्होंने दलील दी कि अजयन कार्यवाही में "अजनबी" और "हस्तक्षेपकर्ता" है और बताया कि हाईकोर्ट ने उनके पक्षकार आवेदन को खारिज कर दिया। जब पीठ ने बताया कि हाईकोर्ट ने फिर भी हस्तक्षेपकर्ताओं के सीनियर एडवोकेट को अपनी दलीलें रखने की अनुमति दी है तो बसंत ने जवाब दिया कि उन्हें एमिक्स क्यूरी के रूप में ऐसा करने की अनुमति दी गई, किसी अन्य क्षमता में नहीं।
अजयन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एस नागामुथु ने कहा कि विशेष अनुमति याचिका तीसरे पक्षकार के रूप में दायर करने की इजाजत देने के अनुरोध के साथ दायर की गई। उन्होंने कहा कि अपराध न्याय प्रशासन से संबंधित गंभीर प्रकृति के हैं, इसलिए मामले को केवल तकनीकी कारणों से खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
खंडपीठ दोनों याचिकाओं पर नोटिस जारी करने पर सहमत हो गई लेकिन अजयन की अधिकारिता पर सवाल उठाने का राजू का अधिकार सुरक्षित रख लिया। खंडपीठ ने यह भी कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है, इसलिए हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आगे कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जानी चाहिए। मामले की सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।
मामले में आरोप
यह मामला 1990 में ऑस्ट्रेलियाई नागरिक के खिलाफ नशीली दवाओं की जब्ती के मामले से संबंधित है, जिसके अंडरवियर की जेब में चरस पाई गई। राजू तब उस वकील का जूनियर है, जो ऑस्ट्रेलियाई आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। ऑस्ट्रेलियाई द्वारा पहने गए अंडरवियर को भौतिक वस्तु के रूप में जब्त कर लिया गया। बाद में कोर्ट ने ऑस्ट्रेलियाई आरोपियों का निजी सामान लौटाने की इजाजत दे दी। हालांकि, अंडरवियर, जो मामले में भौतिक वस्तु है, भी वापस कर दिया गया, जिसे राजू ने एकत्र किया। इसे बाद में न्यायालय को लौटा दिया गया।
हालांकि सत्र अदालत ने अपील में ऑस्ट्रेलियाई को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत दोषी ठहराया, लेकिन केरल हाईकोर्ट ने उसे बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने बरी करने का फैसला इस आधार पर दिया कि अंडरवियर आरोपी को फिट नहीं हो रहा। बचाव पक्ष के इस तर्क का ट्रायल करने के लिए कि अंडरवियर आरोपी के लिए बहुत छोटा है, अदालत के समक्ष व्यावहारिक ट्रायल आयोजित किया गया।
भले ही हाईकोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन यह देखा कि सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और सतर्कता जांच का आदेश दिया गया। जांच के बाद 1994 में एफआईआर दर्ज की गई और उसी वर्ष अंतिम रिपोर्ट दायर की गई, जिसमें राजू और अदालत के कर्मचारी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 420,201,193 और 217 सहपठित 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मामले में आरोपी बनाया गया। हालांकि, मामले की सुनवाई कई वर्षों तक लंबित रही। 2022 में कुछ मीडिया रिपोर्टों ने मामले की लंबितता पर प्रकाश डाला, जिसके बाद राजू ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
केस टाइटल: एमआर अजयन बनाम केरल राज्य डायरी नंबर 18482-2023, एंटनी राजू बनाम केरल राज्य एसएलपी (सीआरएल) नंबर 7896/2023