सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और RBI से निष्क्रिय बैंक खातों तक पहुंच के लिए पोर्टल की मांग वाली जनहित याचिका पर जवाब मांगा

Update: 2025-10-07 04:18 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें व्यक्तियों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और अन्य वित्तीय नियामकों द्वारा विनियमित संस्थाओं में रखी गई सभी वित्तीय संपत्तियों की एक व्यापक सूची तक पहुंच प्रदान करने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल की मांग की गई।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने आकाश गोयल द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया।

सीनियर एडवोकेट मुक्ता गुप्ता याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुईं और उन्होंने कहा कि यह मामला छोटे निवेशकों/जमाकर्ताओं से संबंधित है।

उन्होंने कहा,

"पहले इसे निष्क्रिय कर दिया जाता है। इसकी अवधि 1-3 साल होती है। फिर 7-8 साल तक यह बिना दावे के रहता है। आज की तारीख में यह 3.5 लाख करोड़ रुपये की राशि है - इसे उन लोगों, लाभार्थियों, निवेशकों आदि को वापस नहीं किया जा रहा है... मैंने भी एक प्रतिवेदन दिया...सेबी बेहतर स्थिति में है।"

उन्होंने यह भी कहा कि यह राशि उनके असली मालिकों को वापस नहीं की गई।

गुप्ता ने खंडपीठ को यह भी बताया कि याचिकाकर्ता ने इसी तरह की राहत के लिए शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जहां हाईकोर्ट का मानना ​​था कि उठाया गया मुद्दा महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह मामला अधिकारियों के अधीन है और इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

यह मामला अगली बार 7 नवंबर को विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया।

Case Title: AAKASH GOEL Versus RESERVE BANK OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 812/2025

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