सुप्रीम कोर्ट ने एक ही दिन में 45 अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट जज से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस बात पर आपत्ति जताई कि कैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने गैर-अभियोजन के लिए उसी तरह से एक ही दिन में अग्रिम जमानत की मांग करने वाली लगभग 45 याचिकाओं को खारिज कर दिया।
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार से संबंधित हाईकोर्ट के न्यायाधीश से उनके अजीबोगरीब आचरण के लिए कारणों की मांग करते हुए एक रिपोर्ट मांगी है।
"हमें इस स्तर पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को संबंधित न्यायाधीश (कृष्ण पहल, जे) से प्राप्त करने के बाद इस न्यायालय को रिपोर्ट जमा करने का निर्देश देना चाहिए कि उन पर ऐसा क्या प्रभाव पड़ा कि लगातार लगभग 45 मामलों में एक ही तारीख को एक ही समय में उन्हें नॉन प्रॉसिक्यूशन के लिए खारिज कर दिया। वह भी तब जब किसी ने अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पवित्र है।"
पीठ हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने 29 सितंबर, 2022 को गैर-अभियोजन के लिए याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने वास्तव में हाईकोर्ट के न्यायाधीश द्वारा पारित "स्टीरियो टाइप ऑर्डर" की सीरीज़ के बारे में अदालत को सूचित किया, जिसमें उसी तरह से अग्रिम जमानत की मांग करने वाले आवेदनों को खारिज कर दिया।
बेंच ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश के व्यवहार की निंदा करते हुए टिप्पणी की,
"आदेश पारित करने में इस तरह का दृष्टिकोण इस न्यायालय द्वारा किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।"
इसके बाद पीठ मामले में नोटिस जारी करने के लिए आगे बढ़ी। न्यायालय ने 2 जुलाई को हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के मद्देनजर याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी।
याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 504, 506, 307 और धारा 323 के तहत अपराध के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मेरठ स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है।
मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी