सुप्रीम कोर्ट ने राज्य बार काउंसिलों के कार्यकाल विस्तार की अनुमति देने वाले नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर BCI से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और तमिलनाडु बार काउंसिल से रिट याचिका पर हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें BCI प्रमाणपत्र और अभ्यास स्थल (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 32 को रद्द करने की मांग की गई है। यह नियम BCI को एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत निर्धारित वैधानिक सीमाओं से परे राज्य बार काउंसिल के सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार देता है।
एडवोकेट एक्ट की धारा 8 के अनुसार, राज्य बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्य का वैधानिक कार्यकाल पांच वर्ष है। इसमें प्रावधान है कि यदि राज्य बार काउंसिल कार्यकाल समाप्त होने से पहले अपने सदस्यों के चुनाव की व्यवस्था करने में विफल रहती है तो BCI कार्यकाल को छह महीने के लिए बढ़ा सकता है।
नियम 32 के अनुसार, अपने मूल स्वरूप में यदि वकीलों के सत्यापन में देरी के कारण किसी राज्य बार काउंसिल का कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो BCI को बार काउंसिल के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य बार काउंसिल के सदस्यों की एक तदर्थ समिति गठित करने का अधिकार है। हालांकि, इस नियम में 2023 में संशोधन किया गया, जिससे BCI को राज्य बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों/पदाधिकारियों का कार्यकाल अधिनियम में निर्धारित वैधानिक अवधि से आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई।
यह विस्तार 18 महीने की अवधि के लिए अनुमत है।
नियम 32 अब इस प्रकार है:
यदि किसी राज्य बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल गैर-अभ्यासरत वकीलों की पहचान या उनके प्रमाणपत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया में देरी या उपर्युक्त कारणों से राज्य बार काउंसिल के चुनाव हेतु मतदाता सूची तैयार करने में देरी के कारण समाप्त होने की संभावना है तो BCI, एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 8 के तहत राज्य बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों/पदाधिकारियों को उनके विस्तारित कार्यकाल के बाद भी कार्य करना जारी रखने की अनुमति दे सकती है ताकि सत्यापन की प्रक्रिया पूरी की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी गैर-अभ्यासरत वकील किसी राज्य बार काउंसिल का मतदाता या सदस्य न बने। राज्य बार काउंसिल को भारतीय बार काउंसिल द्वारा उनके कार्यकाल के विस्तार की तिथि से 18 महीने की अवधि के भीतर सत्यापन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। उसके बाद से 6 महीने की अवधि के भीतर चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
यदि निर्धारित विस्तारित अवधि के भीतर सत्यापन और चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो इस नियम के तहत BCI, राज्य बार काउंसिल को भंग कर सकती है और एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 8ए के तहत प्रावधान के अनुसार विशेष समिति का गठन करेगी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ 24 सितंबर को इस मामले की अंतिम सुनवाई करेगी। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि इस नियम को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाएँ भी लंबित हैं।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ के समक्ष राजस्थान हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली समान याचिका लंबित है। इसे BCI बनाम श्याम बिहारी एवं अन्य स्थानांतरण याचिका (सिविल) संख्या 2930/2024 नामक एक अन्य याचिका के साथ संलग्न किया गया था।
Case Details: M. VARADHAN v UNION OF INDIA & ANR.|Writ Petition(s)(Civil) No(s). 1319/2023