BREAKING| केंद्र को कॉलेजियम की सिफारिशों को जल्द ही मंजूरी देनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
हाईकोर्ट में खाली पड़े पदों पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (8 मई) को कहा कि केंद्र सरकार को जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को बिना देरी के मंजूरी देनी चाहिए।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने अपने आदेश में कहा,
"केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को जल्द से जल्द मंजूरी दी जाए।"
कोर्ट ने यह टिप्पणी इस तथ्य पर चिंता जताते हुए की कि हाईकोर्ट में 7 लाख से ज्यादा आपराधिक अपीलें लंबित हैं।
कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में (जहां 2 लाख से ज्यादा आपराधिक अपीलें लंबित हैं) 160 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 79 जज हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में 94 स्वीकृत पदों में से 60 जज काम कर रहे हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट में स्वीकृत पदों की संख्या 72 है, लेकिन सिर्फ 44 जज हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में स्वीकृत 60 जजों में से केवल 36 जज हैं।
खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाशित हाल के आंकड़ों का हवाला दिया, जिसमें दिखाया गया कि नवंबर, 2022 से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई 29 सिफारिशें केंद्र के पास लंबित हैं। इनमें से 4 2023 से, 13 2024 से और 12 2025 से हैं। इनके अलावा, कॉलेजियम के कुछ दोहराए गए प्रस्ताव भी लंबित हैं।
खंडपीठ ने कहा,
"हमें उम्मीद और भरोसा है कि लंबित प्रस्तावों को केंद्र सरकार जल्द से जल्द मंजूरी दे देगी।"
खंडपीठ जमानत देने से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए उठाए गए स्वप्रेरणा मामले पर विचार कर रही थी।
जमानत देने के लिए नीति रणनीति के संबंध में मामला | एसएमडब्ल्यू (सीआरएल) संख्या 4/2021