SCAORA द्वारा CJI बीआर गवई से अनुरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन पत्रों पर प्रतिबंधों में ढील दी

Update: 2025-05-20 04:02 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (19 मई) को स्थगन पत्रों के प्रचलन पर अपने पहले के प्रतिबंधों को संशोधित करते हुए सर्कुलर जारी किया। यह ध्यान देने योग्य है कि यह छूट सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा पिछले सप्ताह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई के समक्ष अनुरोध किए जाने के बाद दी गई।

14 फरवरी, 2024 को जारी अपने पहले के परिपत्र में संशोधन करते हुए नए सर्कुलर में कहा गया:

1) माननीय न्यायालयों के समक्ष सूचीबद्ध मामलों के स्थगन के लिए पत्रों को एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड/पार्टी-इन-पर्सन द्वारा सभी मामलों में निर्धारित तिथि/उल्लेखित मामलों को छोड़कर पिछले कार्य दिवस को सुबह 11:00 बजे तक प्रसारित करने की अनुमति है।

2) स्थगन के ऐसे पत्रों पर दूसरे पक्ष की ओर से उपस्थित होने वाले वकीलों/पार्टी-इन-पर्सन की सहमति प्राप्त करने के बाद ही विचार किया जाएगा। जब तक कि दूसरे पक्ष की ओर से उपस्थित वकीसों/पक्षकारों/कैविएटर की पूर्व सहमति/अनापत्ति प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक उस पर विचार नहीं किया जाएगा।

3) स्थगन मांगने का विशिष्ट कारण और पहले से मांगे गए स्थगनों की संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए।

4) मामले के स्थगन पर केवल तभी विचार किया जाएगा जब परिवार में शोक हो या वकील/पक्षकार की मेडिकल/स्वास्थ्य स्थिति हो या माननीय न्यायालय की संतुष्टि के लिए कोई अन्य वास्तविक कारण हो।

5) मामले के स्थगन के लिए अनुरोध अनुलग्नक 'ए' के ​​अनुसार निर्धारित प्रारूप में ई-मेल: adjournment.letter@sci.nic.in के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा।

पहले के सर्कुलर के अनुसार, स्थगन पत्र केवल एक बार ही प्रसारित किया जा सकता था। साथ ही कुछ निर्दिष्ट मामलों में - जमानत, सजा का निलंबन, जहां स्थगन चाहने वाले पक्ष के पक्ष में अंतरिम आदेश दिया गया- स्थगन पत्र प्रसारित नहीं किया जा सकता था। नए और नियमित सुनवाई के मामलों में स्थगन पत्र प्रसारित करने पर भी रोक लगा दी गई है।

हालांकि, नए सर्कुलर के अनुसार, केवल निश्चित तिथि और उल्लेखित मामलों के लिए प्रतिबंध है।

सीजेआई गवई के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद SCAORA ने अपने मानद सचिव निखिल जैन के माध्यम से उनसे स्थगन पत्र प्रसारित करने का अनुरोध किया। SCAORA का दूसरा अनुरोध कॉजलिस्ट में सुनवाई के क्रम को अधिसूचित करना था।

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