सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज पदों के लिए तेलुगु में प्रवीणता अनिवार्य करने के नियम के खिलाफ याचिका खारिज की

Update: 2025-04-28 07:42 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज पदों के लिए तेलुगु में प्रवीणता अनिवार्य करने के नियम के खिलाफ याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (28 अप्रैल) को तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। अपने इस आदेश में हाईकोर्ट ने सिविल जज के पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता के रूप में तेलुगु में प्रवीणता अनिवार्य करने वाले राज्य के नियम और सरकारी अधिसूचना को बरकरार रखा था।

याचिकाकर्ता मोहम्मद शुजात हुसैन इस बात से व्यथित थे कि तेलंगाना न्यायिक (सेवा और कैडर) नियम, 2023 में उर्दू भाषा में प्रवीणता को स्वीकार नहीं किया गया।

जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने तेलंगाना में न्यायिक पदों के लिए इच्छुक उम्मीदवारों के लिए तेलुगु भाषा में प्रवीणता की आवश्यकता की पुष्टि करते हुए हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 2017 में उर्दू को राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई। उन्होंने कहा कि उन्होंने उर्दू माध्यम से पढ़ाई की और परीक्षा में उर्दू का विकल्प भी दिया जाना चाहिए था।

लिखित परीक्षा के एक भाग (30 अंकों का) में तेलुगु पाठ का अंग्रेजी में अनुवाद करना अनिवार्य है।

केस टाइटल: मोहम्मद शुजात हुसैन बनाम तेलंगाना राज्य और अन्य | डायरी संख्या 15801-2025

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