सुप्रीम कोर्ट ने बसों में भीड़भाड़ रोकने के उपायों की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक और निजी बसों में यात्रियों की अत्यधिक भीड़भाड़ के खिलाफ निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने यह मानते हुए जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार किया कि यह मामला सार्वजनिक नीति के दायरे में आता है।
वकील ने ज़ोर देकर कहा कि सार्वजनिक और निजी बसों में भीड़भाड़ के कारण कई लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं और कुछ की तो मौत भी हो जाती है।
उन्होंने कहा:
"यह जनहित याचिका देश भर में परिवहन विभाग और निजी बसों द्वारा सार्वजनिक बसों में अत्यधिक भीड़भाड़ से संबंधित है, जिसके कारण साल भर में लाखों लोगों की मौत होती है।"
खंडपीठ ने हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया:
"यह मामला राज्य के नीतिगत क्षेत्र से संबंधित है, इसलिए हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।"
मामला खारिज करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा,
"संविधान के अन्य अंग भी काम कर रहे हैं, हर बात अदालत के समक्ष आना जरूरी नहीं है।"