'अब केवल बिहार मामला लंबित' : बाबा रामदेव ने एलोपैथी-विरोधी टिप्पणी वाले FIRs को क्लब करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ली

Update: 2025-12-01 16:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक रामदेव को यह अनुमति दे दी कि वे अपनी वह याचिका वापस ले सकते हैं जिसमें उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान “एलोपैथिक” दवाओं के खिलाफ दिए गए बयान को लेकर छत्तीसगढ़ और बिहार में दर्ज एफआईआर को क्लब (एकीकृत) करने की मांग की थी।

मामला जस्टिस एम.एम. सुंधरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध था।

अदालत की कार्यवाही

सुनवाई के दौरान रामदेव की ओर से पेश वकील ने बताया कि छत्तीसगढ़ की रिपोर्ट में यह स्पष्ट है कि क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है और वह संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है, जबकि बिहार एफआईआर की स्थिति स्पष्ट नहीं है

यह सुनकर पीठ ने संकेत दिया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है।
जस्टिस सुंधरेश ने कहा—
“हम हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हम इसे बंद कर देंगे।”

इसके बाद, रामदेव की ओर से वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने अनुमति दे दी।

पृष्ठभूमि

9 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि छत्तीसगढ़ वाली एफआईआर में क्लोज़र रिपोर्ट दायर की जा चुकी है। उस समय अदालत ने कहा था कि अब एफआईआर को क्लब करने की मांग व्यावहारिक रूप से समाप्त हो जाती है क्योंकि केवल बिहार की एफआईआर ही लंबित है
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने आशंका जताई थी कि यदि कोई प्रोटेस्ट पेटीशन दाखिल करता है तो मामला फिर से खुल सकता है, इसलिए बिहार एफआईआर की स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। लेकिन आज भी बिहार एफआईआर की स्थिति अज्ञात होने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं था।

मूल मामला

यह याचिका उन कई एफआईआर से संबंधित थी जो उस वीडियो पर दर्ज हुई थीं जिसमें रामदेव ने कोविड-19 के उपचार में आधुनिक चिकित्सा पद्धति की आलोचना की थी

रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से एफआईआर को रद्द करने, क्लब करने और किसी भी प्रकार की दमनकारी कार्रवाई से सुरक्षा देने की मांग की थी।

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