सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर फैक्ट-फाइंडिंग मिशन पर एफआईआर में दर्ज वकील की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में वकील को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की, जिसमें उन पर राजद्रोह, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश आदि का आरोप लगाया गया, क्योंकि उन्होंने मणिपुर हिंसा के संबंध में फैक्ट-फाइंडिंग मिशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) के हिस्से के रूप में प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एडवोकेट दीक्षा द्विवेदी द्वारा दायर याचिका का उल्लेख किया और सुरक्षा की मांग की।
दवे ने कहा,
"उन्हें प्रैक्टिस में 4 साल हो गए हैं। वह कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की 3 सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं। दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। हमें पता चला कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 121 ए, 124 ए, 153, 153ए, और 153बी के तहत आरोप दर्ज किए हैं। दो अपराधों के लिए आजीवन कारावास की सजा है।"
उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता को अभी तक एफआईआर की प्रति नहीं मिली।
हालांकि मामला आज यानी मंगलवार को सूचीबद्ध नहीं था, सीजेआई चंद्रचूड़ तत्काल उल्लेख के बाद इसे बोर्ड पर लेने के लिए सहमत हुए।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को संबोधित करते हुए कहा,
"मिस्टर सॉलिसिटर, आप मणिपुर राज्य की ओर से पेश हो रहे हैं। वह हमारी बार की सदस्य है। उसने लगभग चार साल की प्रैक्टिस की है। आपको एफआईआर के बारे में निर्देश मिल गए। इस बीच उसे गिरफ्तार न करें।
एसजी मेहता ने कहा कि अनुच्छेद 32 याचिका पर विचार करना न्यायालय का विशेषाधिकार है।
उन्होंने आगे कहा,
"लेकिन यह कहना कि मणिपुर हाईकोर्ट जाना संभव नहीं है, सही नहीं हो सकता। क्योंकि कॉलिन गोंसाल्वेस वहां गए और उसी मामले पर बहस की जिससे कठिनाई पैदा हुई। हमें यह धारणा नहीं बनानी चाहिए कि हाईकोर्ट नहीं जा सकता है।"
सीजेआई ने कहा,
"वैसे भी, हम थोड़ी देर के लिए उसकी रक्षा करेंगे।"
पीठ ने इस प्रकार आदेश पारित किया,
"सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे ने तत्काल आदेशों के लिए कार्यवाही का उल्लेख किया, क्योंकि ऐसी आशंका है कि याचिकाकर्ता चार साल से बार की सदस्य है, उसको गिरफ्तार किए जाने की संभावना है। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह ऐसा करती है, इस स्तर पर एफआईआर की प्रति नहीं है। हमने दवे से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि याचिका की प्रति भारत के सॉलिसिटर जनरल को निर्देश देने वाले वकील को दी जाए। एसजी मामले की पृष्ठभूमि पर निर्देश ले सकते हैं। शुक्रवार शाम 5 बजे तक एफआईआर नंबर के अनुसरण में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।''
प्रेस रिपोर्टों के अनुसार, सीपीआई नेता और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की महासचिव एनी राजा और निशा सिद्धू को एफआईआर में अन्य आरोपी व्यक्तियों के रूप में नामित किया गया, जो एस लिबेन सिंह नामक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज की गई। शिकायतकर्ता ने आरोपियों द्वारा मणिपुर हिंसा को "राज्य प्रायोजित" बताए जाने पर आपत्ति जताई।