सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से तलाक के मामलों में डिक्री पारित की
सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल हियरिंग प्रणाली के माध्यम से कई मामलों में फैसले दिए हैं ,जिनमें आपसी सहमति से तलाक लेने के मामले भी शामिल हैं।
3 जून, 2020 को जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए अनीशा अर्जुन राज बनाम अरविंद सुंदर राज नामक मामले में आपसी सहमति से विवाह विच्छेद की डिक्री पारित की।
उक्त मामले में याचिकाकर्ता-पत्नी ने एडवोकेट स्वाति बंसल के माध्यम से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसने मांग की थी कि प्रतिवादी-पति की तरफ से फैमिली कोर्ट के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश- II , बेंगलुरु, कर्नाटक के समक्ष दायर तलाक की याचिका को फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ,चेन्नई, तमिलनाडु की अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाए।
हालाँकि इस मामले को 30 अगस्त, 2019 को दिए गए एक आदेश के तहत चेन्नई स्थित हाईकोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में भेज दिया गया था, जिसके बाद दोनों पक्षों ने एक सौहार्दपूर्ण समझौता किया और इस समझौते की डीड की शर्तों के तहत अपने विवाह को भंग करने की मांग की।
जब 3 जून को न्यायमूर्ति रॉय ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की तो अदालत को उपरोक्त समझौते के बारे में बताया गया, जिसके बाद अदालत ने समझौते की शर्तों के तहत स्थानांतरण याचिका का निपटारा कर दिया।
इस मुकदमे के बाद, 11 जून 2020 को जस्टिस एस रवींद्र भट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (बी) के तहत आपसी सहमति से तलाक के मामले में एक डिक्री पारित की। यह आदेश कोर्ट ने अनुश्वेता कुमारी बनाम संजीत कुमार अग्रवाल नामक मामले में दिया था।
इसी प्रकार, माधुरी जाजू बनाम मनोज जाजू के मामले में दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते की डीड पेश करने के बाद न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम ने तलाक की मांग को स्वीकार कर लिया था।
13 जून, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष यानि याचिकाकर्ता व प्रतिवादी मौजूद थे। अदालत ने उनके आवेदन को स्वीकार कर लिया चूंकि सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र ने अदालत को समझौते की डीड भेज दी थी।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने कल यानि 19 जून, 2020 को 57 दिन की वर्चुअल हियरिंग पूरी कर ली। न्यायालय वर्चुअल हियरिंग के जरिए अब तक कुल 7144 मामलों की सुनवाई करके एक मील का पत्थर स्थापित कर चुका है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार कुल 618 पीठों ने 6994 मामलों (रिव्यू पैटिशन सहित) की सुनवाई की है। इसके अलावा 150 मामलों की सुनवाई रजिस्ट्रार कोर्ट द्वारा की गई है।
इस अवधि के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 672 फैसले सुनाए हैं। जिनमें से 134 मुख्य मामलों में और 538 जुड़े हुए मामलों में सुनाए गए हैं।
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