होमगार्ड की मौत पर FIR रद्द करने के लिए बिहार के जज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

Update: 2025-03-26 08:23 GMT
होमगार्ड की मौत पर FIR रद्द करने के लिए बिहार के जज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि वह उस मामले में पक्षों की सुनवाई करेगा, जिसमें याचिकाकर्ता, बिहार के जिला एवं सेशन कोर्ट के जज और उनकी पत्नी पर उनके सरकारी आवास में तैनात होमगार्ड की हत्या का आरोप है, क्योंकि उसने घर का काम करने से मना कर दिया था।

पटना हाईकोर्ट के 1 मई, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की गई, जिसके तहत हाईकोर्ट ने दो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था।

खगड़िया में तैनात जज राज कुमार की सेवा कर रहे होमगार्ड वीरेंद्र सिंह की मौत के लिए 2022 में FIR दर्ज की गई थी।

याचिका में बताए गए तथ्यों के अनुसार, जज सुबह-सुबह टहलने के लिए अपने सरकारी क्वार्टर से निकले और जब वे वापस लौटे तो उन्होंने पाया कि उनके सरकारी आवास का मुख्य द्वार खुला था। होमगार्ड, जो अब मर चुका है, प्रासंगिक समय पर ड्यूटी पर था। बताया गया कि जज द्वारा गेट खुला होने का कारण पूछे जाने पर होमगार्ड भड़क गया और गाली-गलौज करते हुए कहा कि सरकारी आवास का प्रवेश द्वार बंद करना उसका काम नहीं है।

इस दौरान होमगार्ड ने अपनी सर्विस राइफल याचिकाकर्ता के सीने पर तान दी और जान से मारने की धमकी दी। याचिकाकर्ता ने तुरंत होमगार्ड के कब्जे से राइफल छीन ली। इसके बाद उसने मामले की सूचना पुलिस अधीक्षक खगड़िया को दूरभाष पर दी।

जज से प्राप्त लिखित सूचना के आधार पर पुलिस ने घटना की सूचना दर्ज की और होमगार्ड तथा उसके कब्जे से सर्विस राइफल और जिंदा कारतूस को अपने कब्जे में ले लिया। होमगार्ड के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

हालांकि, उल्लेखनीय है कि जब होमगार्ड को थाने ले जाकर घटना के बारे में पूछा गया तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसने लाल रंग का कोई पदार्थ उल्टी भी किया। उसे तुरंत थाने ले जाया गया और 14 दिनों के बाद उसकी मौत हो गई। आखिरकार मृतक होमगार्ड के बेटे ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके पिता से झाड़ू-पोछा और सफाई जैसे घरेलू काम करवाए जाते थे और जब उसने मना कर दिया तो प्रिंसिपल जज और उसकी पत्नी नाराज हो गए और उसके साथ मारपीट की। बेटे ने आरोप लगाया कि उसे दूसरे होमगार्ड से मारपीट की जानकारी मिली।

12 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए इस मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी। न्यायिक अधिकारी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने कहा कि अधिकारी और उनकी पत्नी के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने होमगार्ड की हत्या की। लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में कुछ और ही कहा गया। मेडिकल रिपोर्ट में नाक के निचले हिस्से पर हल्की खरोंच और बाएं हाथ की मध्यमा उंगली पर हल्की खरोंच का संकेत दिया गया।

इसके बाद आखिरकार 14वें दिन अस्पताल में गार्ड की मौत हो गई। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण मस्तिष्क में एनोक्सिया बताया गया, जो इंट्राक्रैनील रक्तस्राव के कारण हुआ। यह प्रस्तुत किया गया कि चोट लगने के बाद गार्ड FIR के सिलसिले में पुलिस की हिरासत में था। इसलिए पोस्टमार्टम में पाई गई किसी भी चोट को याचिकाकर्ताओं के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

हालांकि, जस्टिस सुंदरेश ने कहा,

"हम इसे पूरी तरह से रद्द नहीं कर सकते। हम आपकी बात सुनेंगे।"

न्यायालय 4 सप्ताह बाद मामले की सुनवाई करेगा।

केस टाइटल: राज कुमार और अन्य बनाम बिहार राज्य | एसएलपी (सीआरएल) संख्या 10358/2024

Tags:    

Similar News