BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि DHCBA की आम सभा की बैठक यथाशीघ्र आयोजित की जाए, 10 दिन से अधिक नहीं। जी.बी. कोषाध्यक्ष का पद महिला सदस्यों के लिए आरक्षित करने की वांछनीयता पर विचार करेगी। कोषाध्यक्ष का पद आरक्षित करने के अलावा जी.बी. महिला सदस्यों के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का एक और पद आरक्षित करने की वांछनीयता पर विचार करने के लिए स्वतंत्र होगी।
इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि कार्यकारी समिति के 10 सदस्यों में से कम से कम 3 महिला सदस्य होंगी। जी.बी.एम. यह भी विचार कर सकती है कि कार्यकारी समिति की 3 महिला सदस्यों में से कम से कम 1 सीनियर नामित वकील हो।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ दिल्ली के बार निकायों में महिला वकीलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार कर रही थी।
पीठ ने बुधवारर को दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से आगामी चुनावों में महिला वकीलों के लिए उपाध्यक्ष का पद आरक्षित करने पर विचार करने को कहा था। पीठ ने यह भी निराशाजनक पाया कि वर्ष 1962 से अब तक बार की एक भी महिला अध्यक्ष नहीं रही है।
सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा और सीनियर एडवोकेट मोहित माथुर क्रमशः याचिकाकर्ता और DHCBA की ओर से पेश हुए। शुरू में न्यायालय ने सुझाव दिया कि उपाध्यक्ष का पद महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। हालांकि, जब अरोड़ा ने प्रस्तुत किया कि उपाध्यक्ष का पद अधिकतर "औपचारिक" होता है तो न्यायालय ने आदेश में कोषाध्यक्ष के पद का उल्लेख किया।
केस टाइटल:
(1) अदिति चौधरी बनाम दिल्ली बार काउंसिल और अन्य, डायरी नंबर 42332-2024
(2) शोभा गुप्ता और अन्य बनाम दिल्ली बार काउंसिल और अन्य, डायरी नंबर 42644-2024