सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थानों में CCTV कैमरे बंद होने पर कंट्रोल रूम बनाने का प्रस्ताव दिया, आदेश सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में आदेश सुरक्षित रखा, जिसमें उसने राजस्थान राज्य में CCTV कैमरों की कमी और पुलिस हिरासत में मौतों से संबंधित मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया था।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा कि वह पुलिस थानों में CCTV कैमरों की बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वतंत्र निगरानी पर विचार कर रही है, क्योंकि अगर CCTV कैमरे अदालत के पूर्व निर्देशों के अनुपालन में लगाए भी गए हैं तो भी अधिकारी उन्हें बंद कर सकते हैं।
सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे की सुनवाई के बाद जस्टिस मेहता ने कहा,
"मुद्दा निगरानी का है। आज अनुपालन हलफनामा हो सकता है, कल अधिकारी कैमरे बंद कर सकते हैं... हम एक ऐसे कंट्रोल रूम के बारे में सोच रहे हैं, जिसमें कोई मानवीय हस्तक्षेप न हो... कोई भी कैमरा बंद हो जाए तो फ्लैग लगा दिया जाता है...पुलिस थानों का भी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा निरीक्षण किया जाना चाहिए...हम IIT को शामिल करके ऐसी व्यवस्था बनाने पर विचार कर सकते हैं, जिससे CCTV फुटेज की निगरानी मानवीय हस्तक्षेप के बिना की जा सके।"
गौरतलब है कि दिसंबर, 2020 में परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह मामले में न्यायालय ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके अधीन कार्यरत प्रत्येक पुलिस स्टेशन में CCTV कैमरे लगाए जाएं। हालाँकि, इसका अनुपालन ठीक से नहीं हो पाया, कई कैमरे या तो लगे ही नहीं या खराब पड़े हैं।
दवे ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बताया कि कुछ राज्यों ने निर्देशों का पालन किया, जबकि अन्य ने नहीं किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत संघ, जिसके अधीन ED, NIA और CBI जैसी प्रमुख जांच एजेंसियां हैं, उसने भी न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया। सीनियर एडवोकेट ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों को मैन्युअल रूप से बंद किए जाने के मुद्दे को भी स्वीकार किया और कहा कि निगरानी से न केवल हिरासत में मौतों का बल्कि हिरासत में यातना और दुर्व्यवहार का भी समाधान होगा।
4 सितंबर को अदालत ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर विचार किया, जिसके अनुसार इस वर्ष पिछले 8 महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में लगभग 11 लोगों की मौत हुई।
अदलात ने कहा,
"हमें आज के समाचार पत्र 'दैनिक भास्कर, राजस्थान संस्करण', यानी 4 सितंबर, 2025 में एक परेशान करने वाला समाचार लेख मिला। समाचार लेख से पता चलता है कि वर्ष 2025 में पिछले 8 महीनों में राजस्थान राज्य में पुलिस हिरासत में 11 मौतें हुईं, जिनमें से 7 दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं उदयपुर संभाग में ही हुईं।"
इस टिप्पणी के साथ रजिस्ट्री को स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया और उचित आदेश के लिए मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
Case Title: IN RE LACK OF FUNCTIONAL CCTVS IN POLICE STATIONS Versus, SMW(C) No. 7/2025